Viral: कंपनी ने कर्मचारियों के लिए बनाए स्कूल जैसे नियम, लोगों ने कहा-ऐसे कौन करता है

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कंपनी ने बनाए अजीबोगरीब नियमImage Credit source: Social Media

एक कर्मचारी ने हाल ही में Reddit पर अपनी कंपनी की सख्त अटेंडेंस पॉलिसी की आलोचना करते हुए एक पोस्ट शेयर किया. जिसमें उन्होंने इसे स्कूल जैसा माहौल बताया, जहां मामूली देर होने पर भी काफी भंयकर सजा दी जाती है. ये पोस्ट रेडिट पर r/IndianWorkplace पर नाम के अकाउंट द्वारा शेयर किया गया है. जिसमें उसने बताया कि आज हम लोग भले ही किसी MNC में काम करते हैं लेकिन हमारे वर्क कल्चर एकदम स्कूलों जैसा है. जहां अगर आप जरा सा भी लेट हुए तो आपको तगड़ा नुकसान झेलना पड़ता है.

कर्मचारी ने अपने टीम लीडर का मैसेज शेयर किया. जिसमें साफ लिखा था-अगर कोई बिना पहले से सूचना दिए 9:30 बजे के बाद ऑफिस पहुंचता है, तो उसे आधे दिन की अनुपस्थिति (हाफ-डे) के रूप में मार्क किया जाएगा. मैसेज में लिखा था, अगर आपको किसी वजह से देर होने की आशंका है, तो पहले अपने मैनेजर को सूचित करें या मुझे सीधे बताएं. कृपया ध्यान दें कि बिना जानकारी दिए 9:30 बजे के बाद आने वालों को कंपनी पॉलिसी के अनुसार हाफ-डे माना जाएगा.

यहां देखिए पोस्ट

Companies Still Schooling Adults: Reporting at 9:30AM Sharp or Face the Wrath (Half-Day Marked!) Is This Still Justified?
by
u/ducky024 in
IndianWorkplace

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कर्मचारी ने नाराज़गी जताई और इसे समय प्रबंधन का पुराना तरीका बताया. उनका कहना था—हम स्कूल में हैं या वाकई में वयस्क? ट्रैफिक, इमरजेंसी या अचानक आने वाली परिस्थितियों जैसी वास्तविक वजहों पर किसी को पेनलाइज़ करना सही नहीं है. खासकर तब जब वह अपना काम ठीक से कर रहा हो. उन्होंने आगे यह भी कहा कि बिना अनुमति के छुट्टी लेने या अटेंडेंस मार्क न करने पर सैलरी काटने जैसे नियम भी अनुचित हैं. क्या असल में आपका काम मायने नहीं रखना चाहिए, न कि सिर्फ टाइम पर आना? उन्होंने सवाल उठाया.

एक शख्स ने सुझाव दिया, आप कंपनी को कह सकते हैं कि लॉगिन-लॉगआउट टाइम एक घंटे आगे-पीछे कर दे.’ वहीं दूसरे ने लिखा कि गुरुग्राम और नोएडा में कई कंपनियां पीक ऑवर ट्रैफिक से बचने के लिए अपने शिफ्ट टाइम खुद एडजस्ट करती हैं. एक और ने कमेंट कर लिखा कि ये सिस्टम ऐसे कर्मचारियों को तैयार करने के लिए है जो बस आज्ञाकारी रहें, न कि सोचने और करने वाले लोग बनें. इस सोच के साथ हम चीन से क्या, अमेरिका से भी मुकाबला नहीं कर पाएंगे.’

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