अमेरिकी इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला ने साउथ कोरिया की LG एनर्जी सॉल्यूशन (LGES) के साथ करीब 35,000 करोड़ की बड़ी बैटरी डील की है. इस डील का मकसद यह है कि टेस्ला अब बैटरी जैसी जरूरी चीजों के लिए चीन पर कम निर्भर रहना चाहती है. यह डील ना सिर्फ टेक्नोलॉजी और एनर्जी के क्षेत्र में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह भी दिखाता है कि टेस्ला अपनी प्लानिंग और रणनीति में बड़ा बदलाव कर रही है.
अब अमेरिका में बनेगी बैटरी?
- इस डील के तहत LGES अमेरिका के Michigan प्लांट से Tesla को LFP (Lithium Iron Phosphate) बैटरी सप्लाई करेगा. इन बैटरियों का इस्तेमाल Tesla अपनी इलेक्ट्रिक कारों में नहीं, बल्कि Energy Storage सिस्टम (जैसे Powerwall और Megapack) में करेगा. पहले Tesla ये बैटरियां चीन से आयात करता था. अब अमेरिका से सप्लाई होने के कारण टैक्स बचेंगे और सप्लाई भी सुरक्षित रहेगी.
LFP बैटरी क्यों है खास?
- LFP बैटरियां इसलिए खास मानी जाती हैं क्योंकि ये सस्ती होती हैं, इनकी उम्र लंबी होती है और ये ओवरहीटिंग या आग लगने जैसे जोखिम से काफी हद तक सुरक्षित रहती हैं. इनका इस्तेमाल मुख्य रूप से ग्रिड एनर्जी स्टोरेज सिस्टम में किया जाता है. टेस्ला इन्हें अपने पावरवॉल और मेगापैक जैसे बैकअप पावर सॉल्यूशन्स में घरों और इंडस्ट्रियल जरूरतों के लिए इस्तेमाल करता है.
चीन से दूरी क्यों बना रहा है टेस्ला?
टेस्ला की यह रणनीति अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध के चलते सामने आई है. अमेरिका ने चीन से आने वाले बैटरी कंपोनेंट्स पर भारी टैक्स लगाए हैं, जिससे इम्पोर्ट महंगा हो गया है. इसी वजह से टेस्ला अब चीन के बजाय दूसरे देशों से सप्लाई लेने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है.
टेस्ला की क्या है बड़ी प्लानिंग?
- LGES के साथ बैटरी डील के अलावा टेस्ला ने हाल ही में Samsung Electronics के साथ भी $16.5 बिलियन ( 1.38 लाख करोड़) की चिप डील की है. यह दिखाता है कि टेस्ला अब अपने सप्लायर्स को चीन से हटाकर अमेरिका और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में शिफ्ट कर रही है, जिससे उसकी सप्लाई चेन ज्यादा सुरक्षित और स्थिर बनी रहे.
इस डील का EV इंडस्ट्री पर क्या असर होगा?
- टेस्ला की इस डील से EV इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव आ सकता है. इससे टेस्ला की सप्लाई चेन ज्यादा सुरक्षित और राजनीतिक रूप से स्थिर हो जाएगी. क्योंकि बैटरियां अब अमेरिका में बनेंगी, इसलिए उन पर टैरिफ टैक्स नहीं लगेगा और लागत भी कम रहेगी. इस डील से LGES जैसी कंपनियों को लंबे समय के लिए भरोसेमंद ग्राहक मिल जाएंगे. यह दिखाता है कि अब ग्लोबल कंपनियां चीन की जगह दूसरे विकल्पों को ज्यादा गंभीरता से देख रही हैं.
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