छोला से निशातपुरा के बीच बनाए जा रहे रेलवे ओवर ब्रिज (आरओबी) के रास्ते में अड़चन बन रही बिजली की लाइन को शिफ्ट किया जाएगा। इस बीच निशातपुरा क्षेत्र में द्वारका नगर में आरओबी के लिए अर्थ वर्क शुरू कर दिया गया है। सॉइल टेस्टिंग की शुरुआत भी कर दी गई ह
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निशातपुरा क्षेत्र में छोला तरफ से आवागमन आसान करने के लिए करीब 90 करोड़ रुपए में आरओबी का निर्माण किया जा रहा है। यह आरओबी छोला क्षेत्र में मालगोदाम के नजदीक से शुरू होकर रेल लाइन क्रॉस करता हुआ निशातपुरा क्षेत्र में द्वारका नगर के सामने सड़क पर उतारा जाएगा।
अयोध्या बायपास, करोंद, छोला, विदिशा रोड सहित आसपास के क्षेत्र की कॉलोनियों के लोगों के आवागमन के लिहाज से यह आरओबी काफी महत्वपूर्ण साबित होगा। साथ ही निशातपुरा स्टेशन तरफ आवागमन के लिए भी लोगों के लिए सहूलियत बनेगा।
आसपास की 15 से ज्यादा कॉलोनियों को सीधा फायदा होगा
आरओबी के बनने से द्वारका नगर, कृष्णा नगर, राजेंद्र नगर, कोच फैक्ट्री रोड सहित इंडस, पार्श्व स्तुति सहित 15 से लेकर अयोध्या बायपास-मिनाल एरिया की 15 से अधिक कॉलोनियों से आवागमन करने वाले करीब दो लाख लोगों का आवागमन आसान हो जाएगा।
अभी आधा घंटा ज्यादा समय लगता है… वर्तमान में जो लोग निशातपुरा कोच फैक्ट्री के आसपास से लेकर पीछे की तरफ बनी कॉलोनियों में रहते हैं, उन्हें छोला तरफ आवागमन करने के लिए करीब ढाई से तीन किमी लंबा चक्कर लगाकर जाना होता है। जो लोग छोला तरफ आना-जाना चाहते हैं, उन्हें कोच फैक्ट्री रोड से होते हुए भोपाल स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर-1 तरफ से वहां पहुंचना होता है। इसमें आधा घंटा लगता है।
अंडर ब्रिज भी संकरे– दो पहिया वाहनों से जो लोग निशातपुरा की ओर से छोला की ओर आवागमन करते हैं, उन्हें संकरे अंडर ब्रिज से होकर आना-जाना पड़ता है। ऐसी ही समस्याओं को दूर करने के लिए निशातपुरा स्टेशन की नई बिल्डिंग और एंट्री द्वारका नगर के सामने की ओर बनाई जाएगी। साथ ही दोनों अंडर ब्रिज की चौड़ाई भी बढ़ा दी जाएगी। इससे आवागमन करने में सुविधा होगी।
विशेषज्ञ बोले– साल के अंत तक ही धरातल पर काम हो सकेगा पीडब्ल्यूडी के रिटायर्ड चीफ इंजीनयर वीके अमर का कहना है कि 15 जून से कंस्ट्रक्शन के काम नहीं हो पाएंगे। बारिश के बाद यानी अक्टूबर-नवंबर तक ही ब्रिज का काम धरातल पर शुरू हो पाएगा। अभी मृदा परीक्षण होगा जिसमें यह देखा जाएगा कि मिट्टी की गुणवत्ता और वहन क्षमता कितनी है, ताकि पुल की संरचना, उपयोग होने वाली सामग्री और उस पर अपेक्षित यातायात भार का सही अनुमान लगाया जा सके।
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