PG doctors in MY used to rest, instead of getting substitutes to do night duty, 15 were thrown out | फर्जीवाड़ा: एमवाय में पीजी डॉक्टर आराम करते थे, एवजी से करा रहे थे नाइट ड्यूटी, 15 को किया बाहर – Indore News Darbaritadka

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एमवाय अस्पताल में वर्षों से मरीजों की जान से खिलवाड़ चल रहा और किसी को भनक तक नहीं लगी। प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल की कैजुअल्टी में पीजी डॉक्टरों की जगह एवजी मरीजों का इलाज कर रहे थे।

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ये स्टाफ की ही तरह बाकायदा यूनिफॉर्म में आते थे। अस्पताल प्रशासन ने जांच की तो ऐसे 15 लोग मिले जो अस्पताल के कर्मचारी नहीं थे, लेकिन वर्षों से यहां काम कर रहे थे। पूछताछ में इन्होंने बताया कि इन्हें पीजी डॉक्टर ही बुलवाते थे। इनके मुताबिक पीजी डॉक्टर रात में आराम कर सकें, इसलिए वे इन एवजियों को अपनी जगह भेज देते थे। ये नॉर्मल जांच से लेकर ओटी तक में काम कर रहे थे।

आश्चर्य की बात तो यह है कि विभागाध्यक्ष को इसकी जानकारी थी, लेकिन फिर भी उन्होंने अनदेखी की। एमवायएच अधीक्षक डॉ. अशोक यादव, का कहना है कि पहले भी ऐसे फर्जी कर्मचारियों को पकड़ा गया था, लेकिन कुछ दिन बाद वे फिर यहां काम पर लौट आते हैं।

आपसी विवाद में उजागर हुआ मामला

रेजिडेंट डॉक्टरों और कैजुअल्टी प्रभारी के बीच विवाद के बाद इन फर्जी कर्मचारियों के चौंकाने वाले मामले का खुलासा हुआ है। बताया जा रहा है कि कैजुअल्टी प्रभारी डॉ परेश सौंधिया ने सख्ती दिखाई और बिना रोस्टर काम करने वाले कर्मचारियों की मौजूदगी पर आपत्ति ली तो उनके खिलाफ शिकायत हुई। एक ओटी टेक्नीशियन को रंगे हाथों पकड़ा गया।

पूछताछ में उसने बताया कि वह एमजीएम मेडिकल कॉलेज से 2020 बैच का पासआउट है। उसे पीजी प्रथम वर्ष के छात्रों ने बुलवाया था। उसने माना कि उसके पास कोई नियुक्ति पत्र नहीं है। कुछ लोग दो साल से तो कुछ तीन साल से यहां काम कर रहे थे। इसकी सूचना डीन डॉ अरविंद घनघोरिया और अधीक्षक डॉ अशोक यादव को दी गई। जूनियर डॉक्टरों से भी सवाल –जवाब हुए तो वे यह कहकर बचाव करने लगे कि हमने तो सहयोग के लिए बुलवाया। केजुअल्टी में तीन लोग सामने आए हैं जो स्टाफ नहीं थे।

10 साल से मरीजों के सैंपल ले जा रहा बाहरी

जांच में पता चला है कि मेडिसीन विभाग में एक व्यक्ति 10 साल से रात में एप्रिन पहनकर आता था। मरीजों के पैथालॉजी सैंपल लेकर उनसे मोटी रकम वसूलता था। डॉक्टर व स्टाफ को भी लगता था कि वह अस्पताल का कर्मचारी है। आशंका है कि इसमें विभाग के वरिष्ठ डॉक्टर भी शामिल हैं। बताया जा रहा है कि वह हर महीने लाखों रुपए कमाता था।

ड्यूटी के 500 रुपए मिल रहे, फर्जी आईडी भी बनाए एवजी कर्मचारियों को ड्यूटी डॉक्टर रोजाना 500 रुपए देते थे। ये लोग भर्ती मरीजों की बीपी और अन्य जांच भी करते थे। वहीं रात की ड्यूटी वाले डॉक्टर आराम करते थे। इनके फर्जी आईडी कार्ड भी बनाए गए थे।

दोबारा ऐसा न हो इसके लिए पुख्ता इंतजाम किए ^कैजुअल्टी में दो–तीन टेक्नीशियन यह काम कर रहे थे। उन्हें आने से रोक दिया है। जूनियर डॉक्टर्स का कहना है, सहयोग के लिए बुलाया था। उन्हें समझाइश दे दी गई है। कैंटीन का रास्ता बंद कर दिया गया है। गार्ड तैनात कर दिए हैं। बिना आईडी देखे किसी को प्रवेश नहीं देंगे। -डॉ अरविंद घनघोरिया, डीन

जांच में कुछ लोगों को पकड़ा है ^अस्पताल में बाहर से आकर कुछ लोग ओटी टेक्नीशियन और अन्य स्टाफ की तरह काम कर रहे थे। जांच में इन्हें पकड़ा गया है। – डॉ. अशोक यादव, अधीक्षक, एमवायएच

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