Officers complain about allowing 10 times more production | 10-गुना ज्यादा उत्पादन की अनुमति देने पर अफसरों की शिकायत: एक माह पहले जिन प्लांट को बंद करने का नोटिस दिया, वे अब भी चालू – Jabalpur News Darbaritadka

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आयरन ओर के जिन बेनिफिकेशन प्लांट और खदानों को पर्यावरण मंत्रालय ने एक माह पहले बंद करने का आदेश दिया था, वे अब भी धड़ल्ले से चल रहे हैं। 24 अप्रैल को भोपाल स्थित पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के क्षेत्रीय निदेशक ने जबलपुर की सिहोरा तहसील म

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इस संबंध में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के क्षेत्रीय निदेशक राजशेखर रति ने बताया कि जबलपुर की खदानों में बड़ी अनियमितताएं मिली हैं। सिया द्वारा भी लापरवाही हुई, जिस पर नोटिस जारी किया गया है। अगली कार्रवाई के तहत इनवायरमेंटल असेसमेंट कराया जाएगा।

जाखोटिया मिनरल की 29 मई को सेटेलाइट से ली गई तस्वीर, जिसमें साफ देखा जा सकता है कि बेनिफिकेशन प्लांट के पास के हाल क्या हैं।

सिया ने कैसे दे दी 10 गुना ज्यादा उत्पादन की मंजूरी

जांच में सामने आया कि स्टेट एनवायरमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी (सिया) ने 19 हजार मीट्रिक टन की क्षमता वाले प्लांट को 2 लाख मीट्रिक टन उत्पादन की क्लियरेंस दे दी। सिया ने न तो मौजूदा क्षमता का सही मूल्यांकन किया, न ही इंफ्रास्ट्रक्चर की जांच की। पर्यावरण मंत्रालय ने इस पर सिया से जवाब मांगा है कि क्षमता से 10 गुना ज्यादा उत्पादन की इजाजत कैसे दी?

प्लांट का वेस्ट बिना वैध अनुमति के अलग जगह डंप किया

सिहोरा तहसील की 5 खदानों में निरीक्षण हुआ जिसमें जाखोटिया मिनरल, शोभा मिनरल, अमित-‌मुकुल खंपरिया, राजीव चड्ढा और विनोद श्रीवास्तव के नाम सामने आए। इन खदानों में ग्रामीणों की शिकायतों के बावजूद न पर्यावरणीय सुधार हुआ, न सीएसआर का फंड गांवों की भलाई में लगाया गया।

जांच में सामने आया कि कुछ कंपनियों ने सीएसआर के नाम पर मिठाई, पूजा सामग्री और चाय-कॉफी के बिल जमा किए। प्लांट से निकलने वाले वेस्ट को बिना वैध अनुमति के अलग जमीन पर डंप किया गया। एक फर्जी प्रोजेक्ट तैयार कर बताया गया कि इस वेस्ट से ईंट बनाई जाएगी, जबकि जांच में पाया गया कि आयरन ओर का यह वेस्ट ईंट निर्माण में उपयोगी ही नहीं है।

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