Metropolitan Authority will be formed in five cities of MP | जबलपुर, ग्वालियर और उज्जैन भी बनेंगे महानगरीय क्षेत्र: कैबिनेट ने दी मेट्रोपॉलिटन एक्ट को मंजूरी, इंदौर-भोपाल में बनेगी मेट्रोपॉलिटन अथॉरिटी – Madhya Pradesh News Darbaritadka

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मप्र की कैबिनेट ने मंगलवार यानी 20 मई को मप्र मेट्रोपॉलिटन नियोजन एवं विकास अधिनियम 2025 (एक्ट) को मंजूरी दे दी है। इसके तहत इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर और उज्जैन में मेट्रोपॉलिटन अथॉरिटी बनाई जाएगी। पहले चरण में प्रदेश के दो सबसे बड़े शहरी क्षेत्

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भोपाल मेट्रोपॉलिटन रीजन में 9600 वर्ग किमी और इंदौर रीजन में करीब 10 हजार वर्ग किमी क्षेत्र शामिल होगा। दोनों क्षेत्रों के लिए मेट्रोपॉलिटन प्लानिंग कमेटी (MPC) व मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MRDA) का गठन होगा। 10 सवालों के जवाब से समझिए मेट्रोपॉलिटन रीजन की जरूरत क्यों पड़ी, इससे क्या बदलेगा और आम लोगों को क्या फायदा होगा।

इंदौर में हुई कैबिनेट मीटिंग में मेट्रोपॉलिटन एक्ट को मंजूरी दी गई है।

सवाल1: मेट्रोपॉलिटन एरिया की जरूरत क्यों पड़ी? इंदौर और भोपाल दोनों शहरों का विकास तेजी से हो रहा है। सबसे अहम बात ये है कि दोनों शहरों के आसपास शहरीकरण की रफ्तार बाकी शहरों से कहीं ज्यादा है। जैसे-जैसे शहर का दायरा बढ़ रहा है उसके हिसाब से प्लान जरूरी है। शहरी और ग्रामीण विकास के लिए एकीकृत और समन्वित प्रयासों की जरूरत है।

साथ ही विकास की क्षमताओं के आधार पर भूमि उपयोग का निर्धारण करने और आसपास के औद्योगिक क्षेत्रों और शहरों के एकीकृत विकास की जरूरत है।

सवाल 2: इंदौर मेट्रोपॉलिटन रीजन में कौन-कौन से जिले शामिल होंगे?

इंदौर मेट्रोपॉलिटन एरिया में पांच जिले इंदौर, देवास, उज्जैन, धार और शाजापुर को शामिल किया गया है। कुल क्षेत्रफल करीब 9 हजार वर्ग किमी का है। इस एरिया की आबादी 55 लाख के करीब होगी, मगर 75 लाख की आबादी को ध्यान में रखकर रीजन विकसित किया जाएगा। इंदौर विकास प्राधिकरण( आईडीए) को नोडल एजेंसी बनाया है।

इंदौर मेट्रोपॉलिटन के तेजी से हो रहे काम की वजह है सिंहस्थ 2028। दरअसल, इंदौर का जो एरिया तय हुआ है, उसमें दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (DMIC) को जोड़ा गया है। सरकार की कोशिश है कि इससे उद्योगों और व्यापार को नई गति मिल सके। इससे देवास, पीथमपुर, उज्जैन और बदनावर जैसे क्षेत्रों में औद्योगिक निवेश को बढ़ावा मिलेगा।

साथ ही इंदौर, देवास और अन्य शहरों को मजबूत सड़क, रेल और हवाई मार्गों से जोड़ा जाएगा ताकि सिंहस्थ में आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर कनेक्टिविटी मिल सकेगी।

सवाल3 : भोपाल मेट्रोपॉलिटन रीजन में कौन-कौन से जिले शामिल होंगे भोपाल मेट्रोपॉलिटन एरिया में भोपाल- सीहोर- रायसेन-विदिशा और राजगढ़ जिले के ब्यावरा को शामिल किया गया है। भोपाल विकास प्राधिकरण को मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलप करने के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया है। इन पांचों जिलों को मिलाकर भोपाल रीजन का कुल क्षेत्रफल 9600 वर्ग किमी होगा।

14 माह में इन जिलों का सर्वे कर रीजनल डेवलपमेंट एंड इंवेस्टमेंट प्लान बनेगा। भोपाल रीजन दक्षिण में औबेदुल्लागंज और उत्तर में श्यामपुर व आष्टा तक हो जाएगा। अनुमान है कि भोपाल मेट्रोपॉलिटन रीजन की कुल आबादी 35 लाख होगी। यह पूरा प्लान 60 लाख की संभावित आबादी के हिसाब से तैयार किया जा रहा है।

सवाल 4 : कितने चरणों में डेवलप होगा मेट्रोपॉलिटन रीजन मेट्रोपॉलिटन एरिया को 4 चरणों में डेवलप किया जाना है, जिसमें इंसेप्शन, सिचुएशन एनालिसिस, रीजनल एवं इन्वेस्टमेंट प्लान और डीपीआर शामिल है। इंदौर के संदर्भ में पहले चरण यानी इंसेप्शन का काम पूरा हो चुका है। मेट्रोपॉलिटन रीजन का कुल क्षेत्रफल, इसमें शामिल होने वाले जिले, तहसील और गांवों की संख्या तय हो चुकी है।

अब सिचुएशन एनालिसिस का ड्राफ्ट तैयार होगा यानी इसमें शामिल जिलों की अलग-अलग तहसील, निकायों का डेटा, वहां की जनसंख्या, स्थापित उद्योग, क्षेत्र की विशेषता की स्टडी होगी। इसके बाद वहां की भौगोलिक, आर्थिक, धार्मिक-सामाजिक स्थिति का आकलन होगा। कहां कौन सी इंडस्ट्री है, किस तरह की जरूरतें हैं, इसका भी खाका तैयार होगा।

इसके बाद रीजनल एवं इन्वेस्टमेंट प्लान बनेगा, जिसमें ये देखा जाएगा कि मेट्रोपॉलिटन एरिया का समान रूप से विकास हो सके। इसके बाद डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट जारी की जाएगी। कैबिनेट से मंजूरी के बाद एक्ट का बिल जुलाई में संभावित मानसून सत्र में पेश होगा। इंजीनियरिंग, लागत अनुमान और वर्क प्लान की डीपीआर के लिए 2 जून को टेंडर निकलेगा।

सवाल 5 : मेट्रोपॉलिटन रीजन कौन डेवलप करेगा? दोनों शहरों को मेट्रोपॉलिटन रीजन में डेवलप करने के लिए नए एक्ट को कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। विधानसभा से एक्ट को मंजूरी मिलने के बाद महानगर विकास प्राधिकरण (मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी) का गठन किया जाएगा। मुख्यमंत्री अथॉरिटी के अध्यक्ष होंगे।

ये अथॉरिटी मेट्रोपोलिटन एरिया का प्लान तैयार करने के साथ इसके क्रियान्वयन में अहम भूमिका अदा करेगी। साथ ही महानगर योजना समिति (मेट्रोपॉलिटन प्लानिंग कमेटी) का भी गठन किया जाएगा। ये समिति मेट्रोपॉलिटन रीजन में आने वाले विभिन्न प्राधिकरण, नगरीय निकायों व जिला पंचायतों के मध्य अधोसंरचना विकास एवं नई विकास योजनाओं में समन्वय का काम करेगी।

कमेटी अथॉरिटी लैंड बैंक बनाकर उसका प्रबंधन करेगी ताकि टाउनशिप और इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को जमीन उपलब्ध कराई जा सके। मेट्रो रीजन सीमा के बाहर की योजनाएं ‘एरिया डेवलपमेंट प्लान’ के तहत लागू होंगी।

सवाल 6: मेट्रोपॉलिटन रीजन बनाने कितने राज्यों की स्टडी की? मप्र के अफसरों ने 12 राज्यों में बने मेट्रोपॉलिटन रीजन की स्टडी की। इनमें मुंबई, पुणे, नागपुर, सोनीपत, फरीदाबाद, पंचकुला, गुरुग्राम, हिसार, पटना, हैदराबाद, आंध्रप्रदेश का राजधानी क्षेत्र और विशाखापट्‌टनम, जम्मू व श्रीनगर, उप्र का राजधानी क्षेत्र, दिल्ली एनसीआर, चेन्नई, कोलकाता, बैंगलुरु और गुवाहाटी शामिल हैं।

इन सभी राज्यों में बने मेट्रोपॉलिटन रीजन की स्टडी करने के बाद अफसरों ने इंदौर-भोपाल के लिए प्लान तैयार किया। अब मप्र 13वां राज्य होगा, जिसमें दो मेट्रोपॉलिटन रीजन भोपाल और इंदौर बनेंगे।

सवाल 7: मेट्रोपॉलिटन रीजन से पर्यावरण पर क्या असर होगा विकास योजनाओं में पर्यावरण संरक्षण की अनदेखी नहीं होगी। कैचमेंट एरिया, जल स्रोतों का संरक्षण, ग्राउंड वाटर रिचार्ज, बाढ़ नियंत्रण, खनिज संसाधनों का संरक्षण किया जाएगा। आर्कियोलोजिकल साइट्स और पर्यटन स्थलों के विकास के लिए विशेष योजनाएं तैयार की जाएंगी।

सवाल 8: उद्योगों और रोजगार को किस तरह बढ़ावा मिलेगा भोपाल के मंडीदीप व अचारपुरा को जोड़कर नया औद्योगिक क्षेत्र तैयार होगा। इसी तरह इंदौर में पीथमपुर इंडस्ट्रियल एरिया को आसपास के क्षेत्रों से जोड़ा जाएगा। नई टाउनशिप, सड़कें, पुल, लॉजिस्टिक पार्क और अन्य बुनियादी सुविधाएं विकसित की जाएंगी। स्वच्छता, सीवरेज, स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज जैसी सुविधाओं को बेहतर बनाया जाएगा।

टेक्सटाइल, ऑटोमोबाइल, फार्मा और कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। उद्योग और परिवहन का इंटीग्रेशन होगा, ताकि इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट की संभावनाएं बढ़ें और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर तैयार हों। क्रेडाई भोपाल के अध्यक्ष मनोज सिंह मीक कहते हैं, ‘मेट्रोपॉलिटन रीजन अथॉरिटी में जुड़ने के बाद छोटे शहरों को फ्लोर एरिया रेशो की दर, टीओडी और टीडीआर पॉलिसी का फायदा मिलेगा।

इसके अलावा स्मार्ट सिटी, पेन सिटी सॉल्यूशन के काम और मेट्रो रेल सेवा का फायदा मिलेगा। इसका सीधा असर औद्योगिकीकरण और रोजगार में इजाफे के तौर पर दिखाई देगा। किसी सामान्य क्षेत्र को यदि स्टेट कैपिटल रीजन के रूप में विकसित किया जाता है तो इसका पहला असर इस क्षेत्र के रियल स्टेट पर पड़ता है। इसके बाद नए इंडस्ट्रियल एरिया डेवलप किए जाते हैं।

सवाल 9: आने-जाने की क्या सुविधा रहेगी दोनों मेट्रोपॉलिटन रीजन में पब्लिक ट्रांसपोर्ट को जोड़ने पर सबसे अधिक फोकस होगा। इसके अलावा इन्हें स्मार्ट बनाने के लिए अलग ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी बनेगी। यह ट्रैफिक मैनेजमेंट, मेट्रो, रेलवे, एयरपोर्ट, हाईवे और रैपिड ट्रांजिट प्रोजेक्ट्स में विभागों के बीच समन्वय सुनिश्चित करेगी।

सवाल 10: मौजूदा प्राधिकरणों का क्या होगा? कैबिनेट ने एक्ट के मसौदे को मंजूरी दी है उसमें इंदौर, भोपाल, देवास और उज्जैन में विकास प्राधिकरण काम कर रहे हैं। विकास प्राधिकरण शहरी क्षेत्र में प्रभावी है। ये तय हुआ है कि इंदौर, उज्जैन और देवास विकास प्राधिकरण की सीमाओं के बाहर, शेष क्षेत्र में प्लानिंग और को-ऑर्डिनेशन का काम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी करेगी।

दरअसल, इसके लिए तीन विकल्प सुझाए गए थे जिसमें इंदौर उज्जैन और देवास विकास प्राधिकरण को मर्ज करते हुए नया महानगर विकास प्राधिकरण बनाने का प्रस्ताव था। दूसरा इंदौर, उज्जैन और देवास विकास प्राधिकरण अपना काम करते रहेंगे और महानगर विकास प्राधिकरण प्लानिंग और को-ऑर्डिनेशन में उसकी मदद करें।

तीसरे विकल्प के तौर पर विकास प्राधिकरण की सीमाओं के बाहर प्लानिंग करना था। यानी मौजूदा प्राधिकरण शहरों के भीतर प्रभावी रहेंगे और उनकी सीमाओं के बाहर बाकी क्षेत्र में डेवलपमेंट का काम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी देखेगी।

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