नीट यूजी के दौरान आंधी, बारिश और बिजली गुल होने की वजह से परीक्षा ठीक से नहीं दे पाने और फिर से परीक्षा करवाने की मांग को लेकर विचाराधीन याचिकाओं पर सोमवार को हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की ओर से सीनियर एडवोकेट तुषार मेहता
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ऐसे में याचिका खारिज की जानी चाहिए। इस पर जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने कहा कि बगैर लाइट के क्या दिक्कत आती है? काम किया जा सकता है या नहीं? यह जानने के लिए लाइट बंद कर अंधेरे में सुनवाई करते हैं। करीब 13 मिनट तक कोर्ट रूम की लाइट बंद रही। आखिर में तब कोर्ट रूम की लाइट ऑन कर दी गई। मामले में अगली सुनवाई 30 जून को होगी।
उल्लेखनीय है कि नीट यूजी का रिजल्ट जारी किया जा चुका है। इंदौर के करीब 75 छात्रों का रिजल्ट याचिका का परिणाम आने तक रोका गया है।
कोर्ट रूम लाइव – 13 मिनट अंधेरे में हुई कार्यवाही, अब 30 जून को होगी सुनवाई
तुषार मेहता- 14 जून को रिजल्ट आ चुका है, टॉपर भी इंदौर का निकला, बहुत से छात्र पास हो गए। याचिका खारिज की जाए।
याचिकाकर्ता– परीक्षा केंद्रों में कितना अंधेरा था, इसकी जांच सीसीटीवी कैमरों से हो सकती है। उनकी जांच की जाए। हालांकि कई केंद्रों में कैमरे नहीं लगाए गए थे।
तुषार मेहता- सीसीटीवी लगाने का कोई नियम नहीं है, यह एहतियातन लगाए गए थे। लाइट जाने पर कैमरे भी बंद हो जाते हैं।
याचिकाकर्ता- जिन केंद्रों के कमरों में खिड़कियां नहीं थीं, वहां गहरा अंधेरा था, कुछ भी देख पाना मुश्किल था। बच्चों का भविष्य खराब हो सकता है।
तुषार मेहता- नीट यूजी का देशभर में बेहतर रिजल्ट आया है। जिन शहरों में आपदा आई वहां के छात्र भी अच्छे अंकों से पास हुए हैं।
हाई कोर्ट – हम देखना चाहते हैं कि अंधेरे में काम होता है या नहीं? लाइट बंद कर दीजिए।
याचिकाकर्ता– देख लीजिए, अंधेरे में पढ़ पाना ही मुश्किल हो रहा है, छात्रों ने पेपर कैसे दिया होगा?
तुषार मेहता- कम उजाले में पेपर देना मुश्किल होता तो इंदौर के केंद्रों में बैठे छात्र कैसे पास हो गए?
याचिकाकर्ता– जिन छात्रों को दिक्कत हुई है उनकी परीक्षा फिर ली जाना चाहिए।
तुषार मेहता- यह संभव नहीं है। 75 हजार से अधिक छात्र परीक्षा दे चुके हैं। परिणाम आ चुका है। दोबारा परीक्षा नहीं ले सकते।
हाई कोर्ट- इस मामले में अगली सुनवाई 30 जून को होगी।
कब कोर्ट ने की अनूठी सुनवाई
- तत्कालीन चीफ जस्टिस सुरेशकुमार कैत ने महाराष्ट्र ब्राह्मण बैंक की खातीपुरा स्थित बिल्डिंग की नीलामी कोर्ट परिसर में ही कराई थी। सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले के पक्ष में फैसला देते हुए राशि जमा कराने के आदेश दिए।
- जिला कोर्ट के एक न्यायाधीश ने टक्कर मारने, मारपीट करने के मामले में व्यापारी के खिलाफ केस दर्ज कराया था। व्यापारी ने जमानत अर्जी लगाई थी। हाई कोर्ट ने घटना की सीसीटीवी कैमरे में कैद रिकॉर्डिंग को कोर्ट रूम में चलाकर देखा। इसके बाद व्यापारी को राहत दी।
- बीआरटीएस मामले की एक सुनवाई के दौरान तत्कालीन जस्टिस एनके मोदी, पीके जायसवाल ने खुद कार से पूरा 11.5 किमी का कॉरिडोर घूमकर देखा था। इसके बाद आदेश पारित किए।
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