सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए समग्र आईडी जरूरी है। भोपाल के लोग इसे लेकर खासे जागरूक दिखते हैं। यकीन नहीं आता तो ये मिसाल देखिए। विधानसभा चुनाव के दौरान नगर निगम सीमा में करीब 18 लाख वोटर थे और शहर में अधिकतम आबादी लगभग 25 लाख। लेकिन, यहां 39 लाख
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ये अलग बात है कि ज्यादातर में सिर्फ नाम हैं, एड्रेस और फोन नंबर गायब हैं। अनेक आईडी डुप्लीकेट हैं, तो कुछ दूसरे शहरों की। नगर निगम ने जब समग्र आईडी की ई-केवाईसी कराई तो ये खुलासा हुआ। अब विस्तृत जांच शुरू कर दी गई है।
शहर की नगर निगम सीमा में छह विधानसभाएं नरेला, गोविंदपुरा, उत्तर, मध्य, दक्षिण पश्चिम और हुजूर का शहरी इलाका आता है। इनके अंतर्गत 85 वार्ड में 39 लाख 34 हजार 118 लोगों की समग्र आईडी बनी हैं। इनमें से अब तक 11.46 लाख आईडी ही वेरिफाई (ई-केवाईसी)हो सकी हैं। बताया जाता है कि करीब 14 लाख फर्जी आईडी बन गई हैं।
ई-केवाईसी के दौरान पकड़ में आई धांधली, अब विस्तृत जांच के आदेश
शहर में कुल 85 वार्ड हैं। 25 लाख की आबादी के हिसाब से किसी भी वार्ड की औसत आबादी 30 हजार से ज्यादा नहीं है। लेकिन नीचे दिए गए वार्डों में 50 हजार से भी ज्यादा समग्र हैं। इसीलिए यहां ईकेवाईसी की रफ्तार धीमी रही…और फिर ये घोटाला खुला।
2012 के पहले ऑफलाइन आईडी बनते थे
दरअसल, दिसंबर 2012 से पहले समग्र आईडी बनाने का काम ऑफलाइन ही होता था। उस समय बड़े पैमाने पर फर्जी आईडी बने। इन समग्र के जरिए 19 तरह की सरकारी योजनाओं के लाभ मिलता है। अब जब इन समग्र आईडी की ई केवाईसी का काम शुरू हुआ तो बड़ी संख्या में फर्जी आईडी होने से ये लोग मिल ही नहीं रहे थे। काम की धीमी गति के कारण निगम ने 6 वार्ड प्रभारियों को हटा दिया।
तब खुलासा हुआ कि काम में देरी इसलिए हो रही है क्योंकि इन आईडी में न पता है न फोन नंबर। ई-केवाईसी करें तो कैसे। कई वार्ड की आबादी 4 गुना तक ज्यादा बता दी है। इस बारे में अपर मुख्य सचिव संजय दुबे भी सभी नगर निगम को पत्र लिखकर डुप्लीकेट समग्र आईडी हटाने को कह चुके हैं।
जांच जारी है, रिपोर्ट मांगी है
काफी बड़ी संख्या में समग्र आईडी बनने का मामला सामने आया है। इसमें 50% ऐसी आईडी हैं, जो डुप्लीकेट, दूसरे शहरों और सिर्फ नाम-पते वाली हैं। जांच शुरू कर दी है। सभी जेडओ को विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं। – हरेंद्र नारायण, कमिश्नर नगर निगम
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