ऑपरेशन से पहले की तस्वीर.
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में अजब-गजब वाकया देखने को मिला. यहां 3 साल की एक बच्ची के सिर से अजीबो-गरीब हाथ निकला हुआ था. यही नहीं कुछ इंसानी अंग भी शरीर से चिपके हुए थे. परिवार इसे भगवान का चमत्कार मान रहा था. इसलिए उन्होंने न ही बेटी का इलाज नहीं करवाया. बात तब बिगड़ी जब दो साल बाद बच्ची के शरीर पर चिपके अंग विकसित होने लगे. परेशान होकर परिवार अस्पताल पहुंचा. फिर ऑपरेशन हुआ तो डॉक्टर भी हैरान रह गए.
डॉक्टर्स का कहना है कि मामला एक परजीवी जुड़वां (Parasitic Twin) का था, जिसमें एक अल्प विकसित जुड़वां भ्रूण, जीवित बच्ची की खोपड़ी और गर्दन से चिपका हुआ था. डॉक्टर्स के अनुसार, परजीवी जुड़वां एक दुर्लभ स्थिति होती है, जब गर्भ में दो जुड़वां बच्चे बनने लगते हैं, लेकिन उनमें से एक का विकास बीच में रुक जाता है. यह अधूरा जुड़वां बच्चा अपने पूरी तरह विकसित हो रहे जुड़वां से चिपका रहता है.
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल के डॉक्टरों ने इस बच्ची की खोपड़ी और रीढ़ से जुड़े परजीवी जुड़वां को निकाला. यह बच्ची मध्य प्रदेश के अशोक नगर की रहने वाली है, जिसकी गर्दन के पिछले हिस्से में जन्म से ही एक मांसल उभार था. उसे भोपाल एम्स के न्यूरोसर्जरी विभाग में भर्ती कराया गया था. खास बात यह है कि बच्ची के परिजनों ने अंधविश्वास के चलते करीब दो साल तक उसे डॉक्टर्स को दिखाया ही नहीं. हालांकि, बढ़ती उम्र के साथ जब उसके शरीर पर चिपके अंग भी बढ़ने लगे तो उन्होंने उसे अलग-अलग डॉक्टर्स को दिखाया.
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AIIMS में लाए इलाज के लिए
इसके बाद वे उसे एम्स में लेकर आए. यहां न्यूरोसर्जरी विभाग के डॉक्टर्स ने अच्छे से जांच करने के बाद उसका MRI और सीटी स्कैन कराया. जांच में पता चला कि उसकी खोपड़ी और रीढ़ की हड्डी से एक अविकसित शरीर का एक अंग और श्रोणि हड्डियां (Pelvic Bones) जुड़ी हुई थीं, जो दिमाग के बेहद नाज़ुक हिस्से ब्रेन स्टेम से चिपकी हुई थीं. डॉक्टर्स ने फिर बच्ची की सर्जरी करने की बात कही. परिजनों की सहमति मिलने के बाद डॉक्टर्स की एक टीम ने इंट्रॉप न्यूरो तकनीक से बच्ची के दिमाग और गर्दन से जुड़े अविकसित भ्रूण को 7 घंटे की सर्जरी के बाद उसके शरीर से अलग कर दिया.
3 अप्रैल को हुई ये सर्जरी
मामले की जटिलता को देखते हुए अलग-अलग विभागों के डॉक्टरों की एक टीम बनाई गई. इसमें रेडियोलॉजी विभाग से डॉ. राधा गुप्ता और डॉ. अंकुर, पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग से डॉ. रियाज अहमद और प्लास्टिक सर्जरी विभाग से डॉ. वेद प्रकाश शामिल थे. इन डॉक्टर्स की टीम ने गहन विचार-विमर्श करने के बाद बच्ची को सामान्य जीवन देने के लिए, जल्द से जल्द उसकी सर्जरी करने का फैसला किया. इसके बाद 3 अप्रैल 2025 को यह दुर्लभ सर्जरी डॉ. सुमित राज द्वारा सफलतापूर्वक की गई, जिसमें डॉ. जितेन्द्र शाक्य एवं डॉ. अभिषेक ने सहायक की भूमिका निभाई.
इन्ट्रा-ऑप न्यूरोमॉनिटरिंग
ऑपरेशन के दौरान डॉ. सुनैना एवं डॉ. रिया ने एनेस्थीसिया टीम का नेतृत्व किया. वहीं, डॉ. रुचि द्वारा इन्ट्रा-ऑप न्यूरोमॉनिटरिंग की गई, जिससे सर्जरी के दौरान नर्वस सिस्टम की कार्यशीलता की निगरानी हो सकी. इस उपलब्धि पर एम्स भोपाल के कार्यकारी निदेशक, प्रो. डॉ. अजय सिंह ने टीम की सराहना करते हुए कहा, ‘एम्स भोपाल मध्य भारत में विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए लगातार प्रयासरत है. ऐसे अत्यधिक जटिल मामलों में सफलता हमारे डॉक्टरों की विशेषज्ञता, अंतर-विभागीय समन्वय और संस्थान की बेहतर संरचनात्मक सुविधाओं का प्रमाण है.
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