Viral Video: महिला ने समझाया कैसे वीडियो पर आते हैं व्यूज और लाइक्स, लाइव एक्सपीरियंस कर कही ये बात

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कैसे बढ़ते हैं लाइक्स और व्यूजImage Credit source: Social Media

सोशल मीडिया की दुनिया हमेशा से अनिश्चित और बदलती रही है. जिसके कई उदाहरण आपने आजतक देखे होंगे. हाल ही में इसी पर एक दिलचस्प प्रयोग वायरल हो रहा है. जिसमें ज़ारा दार नाम की एक महिला ने दिलचस्प प्रयोग किया. ये महिला कभी विज्ञान और तकनीक में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने की वकालत करती थीं, लेकिन PHD की पढ़ाई बीच में छोड़कर उन्होंने अब अपना करियर बदल लिया है और उन्होंने खुद को कंटेंट क्रिएटर बना लिया है.

जिसका एक वीडियो इन दिनों सामने आया है. जिसका उन्होंने नाम दिया कि टैंक-टॉप इफ़ेक्ट सुनने में हल्का लगता है, लेकिन इसके नतीजे काफ़ी सोचने पर मजबूर करने वाले हैं. उन्होंने दो छोटे वीडियो बनाए, दोनों लगभग एक जैसे थे. फ़र्क सिर्फ़ इतना था कि एक वीडियो में उन्होंने सामान्य कपड़े पहने थे और दूसरे में वो टैंक-टॉप में नजर आ रही थी. इस साधारण से बदलाव ने अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर हैरान कर देने वाले परिणाम दिए. जिसे देखकर जारा हैरान रह गई.

क्या मिला देखने को?

इंस्टाग्राम पर टैंक-टॉप वाले वीडियो को 28% ज़्यादा व्यूज़ मिले यानी वही कंटेंट, वही समय, लेकिन सिर्फ़ पहनावे के कारण एंगेजमेंट में इतना बड़ा उछाल. ट्विटर (अब X) पर तो और भी चौंकाने वाला नजारा देखने को मिला यहां व्यूज़ लगभग दोगुने हो गए, लेकिन दूसरी तरफ़, यूट्यूब पर यही वीडियो ठीक से नहीं चला और वहां व्यूज़ में गिरावट दर्ज की गई.

ज़ारा का कहना है कि ये नतीजे शुरुआती हैं और इस पर और परीक्षण की जरूरत है, लेकिन इतना साफ़ है कि सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स की एल्गोरिदम अपने-अपने तरीक़े से काम करती हैं. जो चीज एक जगह लोकप्रिय हो सकती है, वही दूसरी जगह नज़रअंदाज़ भी की जा सकती है.

आसान नहीं है करियर

असल में यह प्रयोग सिर्फ कपड़ों या दिखावे से जुड़े ट्रेंड की कहानी नहीं है. यह इस बात की ओर इशारा करता है कि ऑनलाइन कंटेंट में खुद को सफल बनाना कितना मुश्किल है. क्रिएटर्स हमेशा यह समझने की कोशिश करते हैं कि किस तरह के पोस्ट या वीडियो को एल्गोरिदम आगे बढ़ाएगी, लेकिन हर प्लेटफ़ॉर्म के नियम अलग और अक्सर अस्पष्ट होते हैं.

ज़ारा के इस प्रयोग से यह भी सामने आया कि इंटरनेट पर वन-साइज़-फ़िट्स-ऑल स्ट्रैटेजी काम नहीं करती. जो फ़ॉर्मूला इंस्टाग्राम पर वायरल हो सकता है, वह यूट्यूब पर असफल भी हो सकता है. इससे यह स्पष्ट होता है कि कंटेंट बनाने वालों को हर प्लेटफ़ॉर्म के अनुसार अपनी रणनीति ढालनी पड़ती है. सोशल मीडिया का यह बदलता हुआ परिदृश्य कंटेंट क्रिएटर्स के लिए चुनौती भी है और अवसर भी चुनौती इसलिए कि उन्हें लगातार नए तरीके आजमाने पड़ते हैं और अवसर इसलिए कि छोटे-से प्रयोग से भी बड़ी सीख मिल सकती है.

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