The funeral procession was taken out together, the village became sad | वैन ड्राइवर कर रहे रेलकर्मी के परिवार में माता-पिता बचे: 15 साल के बच्चे ने मां और भाई-बहन को खोया, झाबुआ हादसे में 9 जान जाने की कहानी – Ratlam News Darbaritadka

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मध्यप्रदेश के झाबुआ में मंगलवार-बुधवार की दरमियानी रात सीमेंट से भरे ट्रॉले ने पहले ईको वैन को टक्कर मारी, फिर घसीटते हुए उसे दूर तक ले गया। भावपुरा गांव के कल्याणपुरा में हुए इस हादसे में 4 बच्चे, 3 महिलाएं, 2 पुरुष समेत 9 लोगों की मौत हो गई। 5 साल

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इस हादसे में वैन ड्राइवर कर रहे रेलवेकर्मी समेत चार लोगों की मौत हो गई। उनके परिवार में अब केवल बूढ़े मां-बाप बचे हैं। वहीं, 15 साल के एक बच्चे ने अपनी मां और बहन भाई को खो दिया है। लड़का बाइक से था, इसलिए उसकी जान बच गई। उसके पिता को भी तीन साल पहले गलतफहमी में भीड़ ने पीट-पीट का मौत मार दिया था। वैन सवार सभी 11 लोग आपस में रिश्तेदार थे, जो एक शादी में शामिल होकर झाबुआ से अपने घर लौट रहे थे।

इस दिल दहलाने वाले हादसे को जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम घटनास्थल, के साथ ही गांव पहुंची, यहां का दृश्य बहुत ही झकझोर देने वाला था, पढ़िए यह रिपोर्ट…

हादसे में इनकी गई जान

झाबुआ के एसपी पदम विलोचन शुक्ला ने बताया- सजेली रेलवे फाटक के ऊपर ओवर ब्रिज का निर्माण चल रहा है। इसी के पास हादसा हुआ। घटना मंगलवार-बुधवार की दरमियानी रात देर रात करीब 3 बजे की है। ईको वैन मेघनगर की ओर से आ रही थी। सीमेंट से भरा ट्रॉला पलटकर ईको वैन पर जा गिरा। इसके बाद वह वैन को कुछ दूर घसीटते हुए ले गया।

ट्रॉले के नीचे दबने से मुकेश खपेड़ (40), उनकी पत्नी सावली (35), बेटा विनोद (16), बेटी पायल (12), मढ़ी बमनिया (38), विजय बामनीय (14), कांता बमनिया (14), रागिनी बमनिया (9) और अकली परमार (35) मौत हो गई। पायल परमार (19) और 5 वर्षीय आशु बमनिया घायल भर्ती हैं।

ग्रामीण अजीत डामोर बताते हैं- हादसे की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे और दो जेसीबी और एक पोकलेन मशीन बुलाई, जिसकी मदद से ट्रक के नीचे दबी ईको वैन को निकाला। कटर से काटकर शव निकाले गए। जेसीबी मशीन और पोकलेन आने में करीब 2 घंटे का समय लग गया। अगर जल्दी आ जाती तो ड्राइवर की जान बच सकती थी।

हादसे की दो तस्वीर…

ट्रॉले ने ईको वैन को टक्कर मारी, फिर घसीटते हुए उसे दूर तक ले गया।

भावपुरा गांव के कल्याणपुरा में ईको वैन को टक्कर मारने वाला ट्राला।

शिवगढ़ मऊड़ा में पसरा मातम

दैनिक भास्कर की टीम घटनास्थल से झाबुआ के गांव शिवगढ़ मऊड़ा पहुंची। यहां मातम पसरा हुआ था। दोपहर 2 बजे में एक लोडिंग वाहन आकर गांव में रुका। इसमें से तीन शव उतारे गए। कुछ ही देर में दूसरा लोडिंग वाहन आया, इसमें 4 शव गांव पहुंचे थे। शवों को लोडिंग वाहन से उतारते ही चीख-पुकार मच गई। जो खुशी-खुशी शादी में शामिल होने गए थे, वे अब कफन में लिपटकर गांव लौटे थे। परिवारवाले यही कहकर रोते रहे कि हमने नहीं सोचा था कि वह अब लौट कर नहीं आएंगे। करीब एक घंटे बाद फिर एक शव लेकर एम्बुलेंस गांव पहुंची।

गांव में जब शव पहुंचे तो चारो तरफ मातम पसर गया।

मृतकों में 8 लोग एक ही गांव के

ग्रामीणों ने बताया कि 8 लोग शिवगढ़ मऊड़ा के रहने वाले थे, जबकि एक महिला पास के गांव देवीगढ़ की रहने वाली थी। शिवगढ़ मऊड़ा गांव की मढ़ीबाई (38) पति भारू बामनिया का पीहर मानपुरा में है। पीहर में शादी थी। शादी के पहले मंगलवार को गणेश पूजन था। बुधवार को मेहंदी का कार्यक्रम था।

मढ़ीबाई अपने बेटे विजय (14), बेटी कांता व भतीजी रागिनी पिता रामचंद बामनिया को लेकर गांव में रहने वाले रिश्तेदार मुकेश खपेड़ की ईको वैन से मानपुरा गई थी। मुकेश के साथ पत्नी शवलीबाई, बेटा विनोद (16), बेटी पायल (12) व साली झकली (35) पति सोमला परमार निवासी देवीगढ़ भी साथ गए थे। इको वैन को मालिक मुकेश खपेड़ ही चला रहे थे।

हादसा कैसे हुआ इस बारे में परिजनों व ग्रामीणों को ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन उनका कहना है कि ट्राला चालक मोड़ पर सामने से टक्कर मार कर वैन को घसीटता हुआ 200 फीट ले गया। इसके बाद ट्राला वैन पर पलटी खा गया। देर रात सूचना मिलने पर हम मौके पर पहुंचे। आसपास के गांववाले भी मदद को आ गए। पुलिस-प्रशासन के अधिकारी भी पहुंचे और क्रेन से ट्राले को हटाया। सभी वैन में दब हुए थे।

हादसे में एक ही गांव के आठ लोगों की मौत हुई। एकसाथ अर्थी निकाली गई।

8 अर्थिया एक साथ निकली हादसे में 9 लोगों की मौत हुई है। सबसे पहले देवगढ़ गांव की महिला का अंतिम संस्कार उन्हीं के गांव में किया। इसके बाद शाम 5.30 बजे गांव शिवगढ महुडा में अंतिम यात्रा निकली। मुक्तिधाम में एक साथ चार-चार शवों को रख एक साथ मुखाग्नि थी।

अंतिम संस्कार के समय गांव के लोग एकत्रित रहे।

मुकेश के परिवार में अब बूढ़े माता-पिता ही जीवित

हादसे में वैन चला रहे मुकेश खपेड़ का पूरा परिवार खत्म हो गया। घर में अब बूढ़े मां-बाप बचे हैं। ग्रामीण बताते हैं कि मुकेश रेलवे में ट्रैकमैन के पद पर झाबुआ जिले के बजरंग गढ़ में पदस्थ था। मुकेश के सीनियर ने प्रदीप चौहान ने बताया कि उसने कहा था कि वह एक शादी में जा रहा है, इसलिए नाइट में ड्यूटी पर नहीं आ पाएगा। अगले दिन नाइट ड्यूटी कर लूंगा।

मुकेश के पिता भी रेलवेकर्मी थे। उन्होंने वीआरएस ले लिया था। उनकी जगह 2015 में मुकेश रेलवे की नौकरी में लगा था। बेटा 10वीं और बेटी 8वीं कक्षा में पढ़ाई कर रही थी।

मुकेश के सहकर्मी कौशल कुमार ने बताया- वह और मुकेश साथ में काम करते थे। वह व्यवहार का धनी था। काम के प्रति काफी लगाव था। वह बुधवार को ड्यूटी जाइन करने वाला था। हमें नहीं पता था कि हम सभी साथियों को उसकी अंतिम यात्रा में शामिल होना पड़ेगा। यह बहुत ही भावुक और पीड़ादायक पल है।

सभी मृतकों का एक ही स्थान पर अंतिम संस्कार किया गया।

मां-भाई बहन की मौत, घर में 15 साल का बेटा बचा

गांव शिवगढ़ मऊड़ा की मृतक मढ़ीबाई अपने दो बच्चों विजय (14) व बेटी कांता (14) के साथ गई थी। साथ में घर के पास रहने वाले देवर रामचंद्र की लड़की रागिनी को भी लेकर गई थी। इन चारों की भी हादसे मौत हो गई। मढ़ी बाई का बेटा विजय (16) दोस्तों के साथ बाइक से मानपुरा गया था। अब घर में वही अकेला बचा है।

ग्रामीण बताते हैं कि उसके पिता की तीन साल पहले 2022 में मौत हो चुकी है। एक एक्सीडेंट के मामले में भीड़ ने उसे गहतफहमी में बुरी तरह से पीटा था, जिसके बाद उसकी अस्पताल में मौत हो गई थी। टीम ने नाबालिग से बात करना चाहा तो उसके आंखों के आंसू गिरने लगे। वह कुछ बोल ही नहीं पाया।

ट्राले की टक्कर के बाद वैन के एयर बैग खुल गए थे। उसके बाद भी उसके परखच्चे उड़ गए।

वैन के एयर बैग भी खुले थे हादसा इतना भयावह था कि वेन के पूरे परखच्चे हो गए थे। वैन में एयर बैग भी खुले थे। लेकिन जान नहीं बचा सके। जिस जगह हादसा हुआ है उसके आगे कुछ दूरी पर रेल फाटक है। यहां पर ब्रिज का काम चल रहा है। केवल डायवर्सन का बोर्ड लगा रखा है। लेकिन ना तो डिवाइडर थे और नहीं किसी प्रकार संकेतक था। आने जाने का दोनों तरफ से एक मार्ग चालू था। रोड किनारे नीचे खाई भी थी। ट्रॉला वेन पर पलटने के बाद रोड से नीचे खाई में पलटा हुआ था। वैन भी नीचे रोड से खाई में थी। मंत्री नागर भी पहुंचे मुक्तिधाम पर प्रदेश के मंत्री नागर सिंह चौहान, झाबुआ एएसपी प्रेमलाल कुर्वे, थांदला थाना प्रभारी अशोक कनेश समेत अन्य प्रशासनिक अधिकारी व जनप्रतिनिधि भी पहुंचे। हमने मंत्री नागर सिंह चौहान से बात करना चाहिए लेकिन उन्होंने बाद में बात करने को कहा। अंतिम संस्कार के बाद बात किए बिना वह लौट गए।

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