भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर ने नौ महीने के लंबे मिशन के बाद अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से सफलतापूर्वक पृथ्वी पर वापसी की है। उनकी यह यात्रा चुनौतियों से भरी रही, लेकिन उनकी दृढ़ता और साहस ने उन्हें इस मिशन में सफलता दिलाई।
मिशन की शुरुआत और चुनौतियाँ
पिछले वर्ष जून में, सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को बोइंग के स्टारलाइनर कैप्सूल के माध्यम से ISS पर भेजा गया था। यह मिशन केवल आठ दिनों का होना था, लेकिन तकनीकी खामियों के कारण यह नौ महीने लंबा हो गया। स्टारलाइनर कैप्सूल में हीलियम रिसाव और प्रणोदन प्रणाली में समस्याएँ आईं, जिससे उनकी वापसी में देरी हुई।
सुरक्षित वापसी
17 घंटे की यात्रा के बाद, स्पेसएक्स के क्रू ड्रैगन कैप्सूल ने फ्लोरिडा के तट के पास मेक्सिको की खाड़ी में सफलतापूर्वक लैंडिंग की। लैंडिंग के तुरंत बाद, सुनीता और बुच को स्ट्रेचर पर ले जाया गया, जो अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने के बाद एक सामान्य प्रक्रिया है। उन्हें ह्यूस्टन में जॉनसन स्पेस सेंटर ले जाया गया, जहाँ उनके स्वास्थ्य की जाँच की जाएगी और वे कुछ दिनों में अपने परिवार से मिल सकेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिक्रिया
सुनीता विलियम्स की सुरक्षित वापसी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुशी व्यक्त की। उन्होंने कहा, “धरती ने आपको याद किया। यह उनके धैर्य, साहस और असीम मानवीय भावना की परीक्षा रही है। सुनीता विलियम्स और क्रू-9 अंतरिक्ष यात्रियों ने एक बार फिर हमें दिखाया है कि दृढ़ता का वास्तव में क्या मतलब है।
निष्कर्ष
सुनीता विलियम्स की यह यात्रा न केवल तकनीकी चुनौतियों से भरी थी, बल्कि यह मानव धैर्य और साहस की भी परीक्षा थी। उनकी सुरक्षित वापसी ने एक बार फिर साबित किया है कि कठिन परिस्थितियों में भी मानव आत्मा की शक्ति अडिग रहती है।
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