Planting trees on the ridge prevented soil erosion | मेड़ पर पेड़ लगा मिट्‌टी का कटाव रोका: नमी रहने से फसलें मुरझाती नहीं हैं; युवा किसान ने फल-छायादार पौधे लगाए तो दूसरे किसान हंसी उड़ाते थे, अब वे भी पेड़ लगा रहे – Bhopal News Darbaritadka

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देवास जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर स्थित छोटी चुरलाय के युवा किसान धर्मेंद्रसिंह राजपूत ने अपने खेत की मेड़ पर फलदार और छायादार पौधे लगाकर कई समस्याओं से एक साथ निजात पाई है।

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धर्मेंद्रसिंह ने बताया- मैंने संकल्प लिया था कि अपने खेत को सिर्फ फसल उगाने की जगह तक सीमित नहीं रखूंगा बल्कि हरियाली का केंद्र बनाऊंगा। खेत की सूनी मेड़ों को हरी-भरी करूंगा। इसके लिए गुजरात में ग्लोबल कृषि कार्यक्रम में जाकर प्रशिक्षण लिया। सात साल पहले खेत की मेड़ पर फलदार और छायादार पौधे लगाने शुरू किए तो दूसरे किसान यह कहकर मेरा मजाक उड़ाने लगे कि खेती की समझ नहीं है।

मैंने नीम, आम, जामुन, जामफल, सीताफल, चीकू, नींबू, सागवान, करंज, मीठा नीम, पॉम ट्री, गुलाब, गुडहल, बिल्वपत्र, शमी और आंवला के पौधे लगाए थे। पौधे लगाने पर 60 हजार रुपए खर्च हुए और 15 हजार रुपए मजदूरी में लगे। पौधे बड़वाह से लाया था, जहां प्रदेश की सबसे बड़ी नर्सरी है। देवास की तुलना में वहां पौधे सस्ते मिलते हैं। लगभग 250 पौधे अब पेड़ बन चुके हैं।

धर्मेंद्र ने बताया- मेड़ पर पेड़ लगने से कई फायदे हुए हैं। पहले खेत की मेड़ उजाड़ थी तब तेज धूप के दौरान खेत की मिट्टी तपती थी और नमी उड़ जाती थी। फसलें भी जल्दी मुरझा जाती थी। इन पेड़ों ने मिट्टी के कटाव को रोका, नमी बनाए रखी और जैव विविधता को बढ़ावा दिया। इनसे छाया और फल मिल रहे हैं।

तोते, बुलबुल, कोयल, मैना और कई पक्षी यहां डेरा डाले रहते हैं जिससे पक्षियों की चहचहाहट से खेत जीवंत रहता है। ये फायदे देखकर अब गांव के अन्य किसान भी मेड़ों पर पौधे लगा रहे हैं। गांव के किसान बहादुरसिंह गुरुजी, दिलीपसिंह ठाकुर, गोपालसिंह भी मेरे साथ देवास की खटांबा नर्सरी जाकर 25-25 पौधे लाए। मुझसे पौधे लगाने का तरीका पूछा और अपने-अपने खेतों की मेड़ पर पौधे लगाए हैं।

धर्मेंद्र कहते हैं, मेड़ पर पेड़ लगाने से विवाद की स्थिति से भी निजात मिलती है। क्योंकि खेतों की मेड़ खाली पड़ी रहती है और किसान जब जमीन जोतते हैं तो कई बार मेड़ को पार कर लेते हैं। इससे विवाद होते हैं। मेड़ को पौधे लगाकर विकसित कर दें तो विवाद का सवाल ही नहीं उठता। अब इस बार बारिश के सीजन में मैं 100 और पौधे लगाऊंगा।

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