आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने तिरुमाला मंदिर में केवल हिंदू कर्मचारियों की नियुक्ति पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि मंदिर समितियों में केवल हिंदू धर्म का पालन करने वाले लोगों को ही नियुक्त किया जाना चाहिए, और यदि गैर-हिंदू कर्मचारी पहले से नियुक्त हैं, तो उन्हें तुरंत उनके कर्तव्यों से मुक्त किया जाना चाहिए।
CM Chandrababu Naidu
इसके अलावा, विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने भी मांग की है कि मंदिर समितियों में केवल हिंदू धर्म का पालन करने वाले व्यक्तियों को ही शामिल किया जाए और इन समितियों में कोई राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं होना चाहिए। विहिप ने कहा कि मंदिर हिंदुओं के लिए पूजा का धार्मिक स्थान है और यह सभी धर्मों का केंद्र नहीं है।
इन कदमों का उद्देश्य तिरुमाला मंदिर की धार्मिक पवित्रता और परंपराओं को बनाए रखना है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि मंदिर के संचालन और प्रबंधन में हिंदू धर्म के अनुयायी ही शामिल हों।
तिरुमला में केवल हिंदू कर्मचारियों की नियुक्ति पर जोर
अंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि तिरुमला मंदिर में केवल हिंदू ही कार्य करें। यह बयान तब आया है जब कुछ महीने पहले तिरुपति मंदिर से गैर-हिंदू कर्मचारियों का स्थानांतरण किया गया था।
पृष्ठभूमि और तात्पर्य
मुख्यमंत्री नायडू के अनुसार, तिरुमला मंदिर का उद्देश्य हिंदुओं के लिए एक पवित्र धार्मिक स्थान के रूप में अपनी पहचान बनाए रखना है। उनका मानना है कि मंदिर में उन ही कर्मचारियों का होना चाहिए जो हिंदू संस्कृति और परंपराओं का पालन करते हैं। इस फैसले का उद्देश्य मंदिर की धार्मिक पवित्रता और परंपराओं की सुरक्षा करना है।
सकारात्मक और नकारात्मक प्रतिक्रियाएँ
जहाँ एक ओर समर्थकों का तर्क है कि इस कदम से मंदिर की धार्मिकता बनी रहेगी, वहीं आलोचकों का कहना है कि यह निर्णय भेदभावपूर्ण है और इसे समाज में विभाजन को बढ़ावा देने वाला माना जा सकता है। विभिन्न समुदायों और विचारधाराओं के बीच इस मुद्दे को लेकर मतभेद स्पष्ट हैं।
आगे की प्रक्रिया
इस निर्णय के प्रभाव और मंदिर के प्रशासन में होने वाले परिवर्तनों पर नजर रखी जा रही है। आगामी दिनों में इस विषय पर विस्तृत चर्चा और समीक्षा देखने को मिल सकती है, जिससे स्पष्ट होगा कि इस कदम से मंदिर संचालन में किस प्रकार का बदलाव आता है।
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