Mahaarati is being performed with 108 lamps in Matridham | मातृधाम में हो रही 108 दीपों से महाआरती: श्री विद्यासपर्या पद्धति से हो रहा सहस्त्रार्चन, ललितेश्वरी त्रिपुर सुंदरी की हो रही अराधना – Seoni News Darbaritadka

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नवरात्र में श्री विद्यासपर्या पद्धति से विशेष पूजन के साथ सहस्त्रार्चन और दोनों समय 108 घृत दीपों से महाआरती हो रही है।

सिवनी जिले के मातृधाम में नवरात्र विशेष तरह की पूजा-अर्चना की जा रही है। यहां 108 ज्योति कलश और घट प्रज्ज्वलन के साथ मां भगवती का विशेष पूजन-अर्चन किया जा रहा है।

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मातृधाम में श्रीमाता ललितेश्वरी त्रिपुर सुंदरी महारानी विराजमान हैं। यह स्थान जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती महाराज की माताश्री गिरिजा देवी का पावन जन्म स्थल है। नवरात्र में श्री विद्यासपर्या पद्धति से विशेष पूजन के साथ सहस्त्रार्चन और दोनों समय 108 घृत दीपों से महाआरती हो रही है।

108 ज्योति कलश और घट प्रज्ज्वलन के साथ मां भगवती का विशेष पूजन-अर्चन किया जा रहा है।

मंदिर के पट प्रातः 6 बजे से देर रात्रि तक भक्तों के लिए खुले रहते हैं। यहां दस महाविद्या, श्री बटुक भैरव और नवग्रह के साथ मां विराजमान हैं। नवरात्र में मध्याह्न काल में घृत और तेल के ज्योति कलश स्थापित किए गए हैं।

मातृधाम में श्रीमाता ललितेश्वरी त्रिपुर सुंदरी महारानी विराजमान हैं।

आगामी कार्यक्रमों में 2 अप्रैल को पंचमी पूजन, 5 अप्रैल को महाअष्टमी पूजन होगा। 6 अप्रैल को मध्याह्न में श्रीराम जन्मोत्सव, कन्याभोजन और सायंकाल हवन का आयोजन है। 7 अप्रैल को सुबह 11 बजे जवारे विसर्जन होगा।

यह स्थान जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती महाराज की माताश्री गिरिजा देवी का पावन जन्म स्थल है।

मातृधाम के प्रभारी धर्मवीर अजित तिवारी के अनुसार, नवरात्र में मां भगवती के दर्शन और पूजन का विशेष महत्व है। जगद्गुरु शंकराचार्य जी ने यहां अपनी जन्मदात्री माता श्रीगिरिजा देवी और सिद्धिदात्री माता श्रीमाता राजराजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी को प्रतिष्ठित कर ‘मातृदेवोभव’ का संदेश दिया है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों से श्रद्धालु इस शक्तिपीठ में दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं।

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