गुना में पुलिस हिरासत में हुई 25 वर्षीय देवा पारदी की मौत मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने मप्र सरकार को फटकारते हुए कहा कि वह पुलिस अफसरों को बचाने के लिए जांच में लीपापोती कर रही है। देवा के चाचा गंगाराम, जो इस केस क
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इनकी जमानत की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस वक्त हिरासत में रहना ही उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए बेहतर है। बाहर आएंगे तो किसी दिन ट्रक से कुचल दिए जाएंगे और कहा जाएगा कि यह हादसा था। देश में ऐसे मामले असामान्य नहीं हैं। उनकी सुरक्षा हो।
देवा की मां की याचिका में आरोप है कि पुलिस ने हिरासत में देवा की पिटाई की जिससे उसकी मौत हो गई, जबकि पुलिस का दावा है कि मौत हार्ट अटैक से हुई। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की बेंच ने यह फैसला सुनाया और राज्य सरकार के रवैये पर नाराजगी जताई।
शरीर पर चोट, पर मौत हार्ट अटैक से?
- न्यायमूर्ति संदीप मेहता ने सरकार के जवाब पर कहा, आप पुलिस अधिकारियों को बचाने में जुटे हैं। जो इस मौत के लिए जिम्मेदार बताए जा रहे हैं।
- न्यायालय ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा- क्या आप खुद को एमिकस क्यूरी (अदालती मित्र) या सीबीआई की ओर से नियुक्त करना चाहेंगी, बजाय इसके कि राज्य पुलिस का प्रतिनिधित्व करें? यह हास्यास्पद व अमानवीय रवैया है।
- जिन दो पुलिस अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है उन्हें सिर्फ लाइन अटैच क्यों किया गया, गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया?
- पीएम रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि 25 वर्षीय युवक की हिरासत में मौत हुई, शरीर पर चोट के निशान भी मिले, फिर भी यह कहा जा रहा है कि मौत हार्ट अटैक से हुई। यह दर्शाता है कि हिरासत में हिंसा के मामले लगातार हो रहे हैं और आरोपी खुले घूम रहे हैं।
– गंगाराम की ओर से पेश अधिवक्ता पायोशी रॉय ने बताया कि पुलिस लगातार उन्हें नए मामलों में फंसा रही है। इस पर कोर्ट ने कहा, इस वक्त हिरासत में रहना ही उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए बेहतर है। बाहर आएंगे तो किसी दिन ट्रक से कुचल दिए जाएंगे और कहा जाएगा कि यह हादसा था। देश में ऐसे मामले असामान्य नहीं हैं।
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