दमोह की घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग निजी अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टरों की डिग्री को लेकर गंभीर हो गया है। जबलपुर में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) ने सभी निजी अस्पतालों को डॉक्टरों की योग्यता की जानकारी देने के निर्देश दिए हैं। यह ज
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सीएमएचओ ने साफ कहा कि अब सभी निजी अस्पतालों को डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। साथ ही डॉक्टरों की डिग्री और योग्यता संबंधी अन्य दस्तावेज सीएमएचओ को भेजने होंगे। राज्य स्तर पर ऐसे आदेश शासन ने भी जारी किए हैं। सीएमएचओ डॉ. संजय मिश्रा ने बताया कि बिना वैध डिग्री और रजिस्ट्रेशन के मध्य प्रदेश के बाहर के डॉक्टर को जबलपुर के किसी भी निजी अस्पतालों में इलाज करने की अनुमति नहीं मिलेगी।
इतना ही नहीं, बाहर का कोई डॉक्टर जबलपुर में क्लीनिक भी नहीं खोल सकता है। डॉ. मिश्रा का कहना है कि निर्देशों का उल्लंघन करने पर अस्पतालों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई भी की जाएगी। सीएमएचओ ने बताया कि जिले के सभी निजी अस्पतालों को नोटिस भेजकर उनके पास कार्यरत सभी चिकित्सक, विशेषज्ञ की डिग्री-डिप्लोमा का वेरिफिकेशन कराने को कहा है। यह भी कहा है कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से उनके रजिस्ट्रेशन का वेरिफिकेशन कराकर जानकारी कार्यालय में दें, जिससे कम से कम दमोह जैसी कोई घटना जबलपुर में घटित न हो।
डाॅ. मिश्रा ने कहा कि सभी निजी अस्पताल संचालकों को दो सप्ताह का समय दिया है। उन्हें इस अवधि में वेरिफिकेशन कराकर सूचित करना होगा। उन्हें स्पष्ट बताना होगा कि उनके अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर क्वालिफाई हैं। उनका अध्ययन और डिग्री सही है। सूत्र बताते हैं कि दमोह का फर्जी डॉक्टर जबलपुर के कुछ अस्पतालों के संपर्क में था, हालांकि इसकी अभी जांच एजेंसी जांच कर रही हैं।
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