Disabled father burnt alive in front of his daughter | बेटी के सामने जिंदा जल गए दिव्यांग पिता: बोली- वो तड़पते रहे, मैं बचा नहीं सकी; शादी वाले दो घरों का सामान भी खाक – Itarsi News Darbaritadka

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ये कहते हुए 20 साल की नंदिनी फफक पड़ती है। उसके पिता इटारसी के नेहरूगंज में रविवार तड़के घर में लगी आग में जिंदा जल गए। उसे मलाल भी है। इसके अलावा, इस आग में दो परिवारों में डेढ़ महीने बाद होने वाली शादी का सामान खाक हो गया। फिलहाल आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है।

दोपहर में पिता के शव का अंतिम संस्कार किया गया। घटना के बाद पत्नी बार–बार बेहोश हुए जा रही है। वह बात करने की स्थिति में नहीं है। दैनिक भास्कर ने मौके पर जाकर देखा। यहां पीड़ित परिवारों और प्रत्यक्षदर्शियों से बात की।

इटारसी के नेहरूगंज इलाके में रविवार तड़के आग लग गई।

गैंगरीन की बीमारी थी, पैर काटना पड़ा था नेहरूगंज इलाके में एक-दूसरे से लगे बालाजी ट्रस्ट के 9 मकान हैं। सभी मकान पुराने और टीनशेड के हैं। लकड़ी के बड़े-बड़े लट्‌ठों के सहारे ये शेड लगा है। इसी एक मकान में राजेंद्र सिंह राजपूत अपनी पत्नी सरिता और बेटी नंदिनी (20) के साथ रहते थे।

वह तीनों बहनों में सबसे छोटी है। बड़ी बहन खुशबू की बेंगलुरू में शादी हो चुकी है। दूसरे नंबर की बहन इंदौर में ट्रांसपोर्ट कंपनी में जॉब करती है। मां आंगनबाड़ी कार्यकर्ता है।

राजेंद्र खुद बिजली सुधारने का काम करते थे। एक साल पहले गैंगरीन की बीमारी के कारण कुछ समय पहले एक पैर काटना पड़ा। घटना के बाद रविवार दोपहर शव का अंतिम संस्कार किया गया।

इसी कमरे में राजेंद्र सिंह सो रहे थे। वे बाहर नहीं निकल पाए और जलकर मौत हो गई।

बेटी बोली- रात 10 बजे हुई थी आखिरी बार बात बेटी नंदिनी ने बताया कि शनिवार रात करीब 10 बजे पापा खाना खाया। सोने की तैयारी कर रहे थे। वह आगे के कमरे में सोते हैं। मकान लकड़ी का बना है। पापा जहां सो रहे थे, वहां चारपाई, आसपास लकड़ी की पेटी और बिजली का सामान रखा था।

रात करीब 10:30 बजे मेन गेट बंद करने मैं उनके कमरे में पहुंची थी। उसी दौरान पापा बड़ी बहन खुशबू को याद कर रहे थे। उन्होंने पूछा था कि वह आई कब आएगी। कारण- 17 अप्रैल को भोपाल में रहने वाली मौसी के यहां शादी है। हम तीनों बहनें माता-पिता के साथ वहां जाने वाले थे। उसी दौरान हमारी आखिरी बार बात हुई थी।

कमरे में आग लगी थी, पापा पूरी तरह से घिर गए रात करीब 3:30 बजे होंगे। अचानक मेरी आंख खुली। देखा, तो बाहर के कमरे में आग लगी थी। मैंने तुरंत मां को उठाया। हम घबरा गए थे। पापा आग से घिर गए। उनका सिर्फ एक पैर ही दिख रहा था।

पारा बिजली और प्लास्टिक का सामान जलने से आग से घिर गए थे। उन्होंने उठाने की कोशिश भी की, चारपाई में फंस गए। वह बचने के लिए चिल्ला रहे थे। सिर्फ आवाज सुनाई दे रही थी। चारों ओर से आग की लपटों ने कमरे को घेर रखा था।

देखते ही देखते लपटें हमारे कमरे तक पहुंचीं। बचने के लिए मैं और मां पीछे के दरवाजे से बाहर आ गए। बमुश्किल हमारी जान बच पाई। घर में रखा गृहस्थी का पूरा सामान खाक हो गया।’

​​​​​​​आग ने पड़ोस के दो मकानों को भी चपेट में​​​​​​​ लिया इस आग ने पड़ोस के दो मकानों को भी चपेट में ले लिया था। इसकी चपेट में एडवोकेट रवि सावदकर का घर भी आ गया। सावदकर बताते हैं कि पत्नी और मैं घर में सो रहे थे। अचानक करीब 3:30 बजे घर की लाइट में तेज आवाज आई।

घर के बाहर भागो-भागो की आवाज से नींद खुल गई। घबराकर मैं भी पत्नी के साथ बाहर आ गया, जिससे जान बच गई। आग घर के पिछले ऊपरी हिस्से में लगी थी। आग बुझाने का प्रयास किया तो करंट फैलने लगा। आशंका है कि शॉर्ट सर्किट के कारण आग लगी थी।

देखते ही देखते हमारी आंखों के सामने फर्नीचर, टीवी, फ्रिज, सिलाई मशीन समेत गृहस्थी का सामान जल गया। अगले 17 मई को बेटे अविनाश की शादी पुणे में है। पुराने मकान एक-दूसरे से जुड़े हैं। घर में लकड़ी का काम ज्यादा होने से आग तेजी से फैली।

छोटे भाई ने ने कहा आग लगी है, कूदकर नीचे आए आग की चपेट में टाइपिंग इंस्टीट्यूट संचालक और स्टाम्प वेंडर अजय गंगराड़े का मकान भी आया। उन्होंने बताया कि घटना के वक्त मैं परिवार के साथ ऊपर वाले कमरे में सो रहा था। तड़के करीब 4 बजे छोटे भाई संजय ने आग की सूचना दी।

देखा, तो नीचे के कमरे में आग फैली थी। जैसे-तैसे ऊपर वाले कमरे से कूदकर जान बचाई। ऊपर के तीन कमरे और एक नीचे के कमरे जल गए हैं। 10 मई को बेटी अपूर्वा की शादी भोपाल में होनी है। ऊपर वाले कमरे में सोने-चांदी और नकदी रखे थे।

20 टैंकर पानी की मदद से आग पर काबू पाया​​​​​​​ घर के सामने रहने वाले जितेंद्र ओझा ने थाना प्रभारी गौरव सिंह बुंदेला को आग लगने की सूचना दी। वहीं, मोहल्ले वाले रहने वाले नगरपालिका में जल विभाग की कर्मचारी रवीन्द्र जोशी ने नगर पालिका की फायर ब्रिगेड बुलाई। इटारसी, आयुध निर्माणी, सीपीई और एसपीएम की फायर बिग्रेड पहुंचीं। करीब 20 टैंकर पानी की मदद से तीन घंटे में आग पर काबू पाया जा सका।

इटारसी एसडीएम टी प्रतीक राव ने बताया कि आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट हो सकता है, क्योंकि पुराना लकड़ी का मकान है।

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इटारसी के नेहरूगंज इलाके में शनिवार-रविवार की दरमियानी रात करीब 3 बजे तीन मकानों में आग लग गई। हादसे में एक दिव्यांग व्यक्ति की मौत हो गई। आग सबसे पहले राजेंद्र सिंह राजपूत के कच्चे मकान में लगी। फिर मिनटों में ही पड़ोस के दो अन्य मकानों में भी फैल गई। ​​​​​​​पढ़ें पूरी खबर

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