चोरल का जंगल तस्करों के राडार पर है, इसलिए यह इलाका ब्लैक जोन घोषित हो चुका है। यहां से सागवान के बेशकीमती पेड़ों को काटकर महाराष्ट्र में सप्लाय किया जा रहा है। उधर, जंगल में जहां धड़ल्ले से पेड़ कट रहे, वहां खाली जमीन को खेत बनाकर उस पर कब्जा किया जा
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भास्कर में खुलासा होने के बाद गुरुवार को वन विभाग ने स्वीकारा कि दो बीट में 54 पेड़ कटे हैं। मामले में दो वनरक्षक सुनील जाट व देवेंद्र गुर्जर को सस्पेंड कर दिया है। वहीं डिप्टी रेंजर देवकरण कदम के निलंबन का प्रस्ताव बनाया है। रेंजर सचिन वर्मा को कारण बताओ नोटिस दिया है। वन विभाग ने माना कि जहां कटाई हुई है, वहां कर्मचारी जाते ही नहीं थे।
चोरल से सौ से ज्यादा बेशकीमती सागवान की लकड़ियों को काटने का मामला अब भोपाल मुख्यालय पहुंच चुका है। वहां से इंदौर के अफसरों को तलब किया गया है। उधर कटाई के पांच-छह दिन बाद भी वन विभाग अब तक किसी तस्कर का पता नहीं लगा पाया है। इसलिए इसकी जांच डीएफओ की निगरानी में होगी। वे ही इसकी पूरी रिपोर्ट मुख्यालय भेजेंगे। इधर, डीएफओ की टीम ने मौके से कटे हुए पेड़ जब्त करवाए। साथ ही उनका दावा है कि पेड़ कटाई करने वाले तस्करों की जानकारी मिली है। उन्हें गिरफ्तार करने के लिए टीमें दबिश दे रही हैं।
खेत बनाकर कब्जे, पट्टे पर बेच देते हैं जमीन
सबसे ज्यादा कब्जे सेंडल-मेंडल, गाजिंदा, राजपुरा, उमठ, बैका, रसकुंडिया, दड़, नयापुरा और कुलाथाना गांवों के जंगलों में हुए हैं। बिना जानकारी के कब्जे नहीं होते। एसडीओ से लेकर नाकेदार तक को जानकारी में रहता है। तस्कर सबसे पहले घने जंगल में जमीन चिह्नित करते हैं। 2-3 साल के भीतर सारे पेड़ काटते हैं।
फिर वहां ट्रैक्टर से खेत बना देते हैं। इसके बाद पट्टे के लिए अपील होती है। वहीं दूसरी तरफ वन विभाग से कब्जे के एक-दो केस बनवा देते हैं, ताकि यह तय हो जाए कि कब्जा काफी पुराना है। चोरल रेंज में दो बार राज्य स्तरीय जांच दल भी सर्वे करने आ चुका है। इस दौरान 4 रेंजर और एक एसडीओ से वसूली भी निकल चुकी है। इतना ही नहीं पहले हुई कटाई में दो डिप्टी रेंजरों को भी सस्पेंड किया जा चुका है।
डीएफओ को जांच के आदेश दिए हैं ^ चोरल के जंगल में सागवान की कटाई के अलावा वनभूमि पर कब्जे कर खेत बनाने की भी जानकारी मिली है। इसके अलावा और भी शिकायतें हैं। मैंने डीएफओ को निर्देश दिए हैं कि वे जांच कर रिपोर्ट सौंपें। – असीम श्रीवास्तव, पीसीसीएफ
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