पीथमपुर में 1 मई से यूका के कचरे का निष्पादन शुरू होने की तैयारी है। इस बीच, भोपाल गैस पीड़ित संघर्ष सहयोग समिति ने दावा किया है कि पीथमपुर भेजे गए 358.28 टन कचरे में 221.34 किलो मर्करी है। मर्करी की यह मात्रा पीथमपुर ही नहीं, बल्कि पूरे मालवा अंचल क
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मर्करी मनुष्य के नर्वस सिस्टम (तंत्रिका तंत्र) और किडनी को प्रभावित करता है। समिति की संयोजक साधना कार्णिक प्रधान ने पत्रकार वार्ता में कहा कि साल 2015 में जब यूका के कचरे का ट्रायल किया गया था, उस समय 10 टन कचरे में 6.8 किलो मर्करी पाया गया था। इसके बाद, 2025 में जो 30 टन कचरे का ट्रायल किया गया, उसमें मर्करी की मात्रा बताई नहीं गई। लेकिन कचरा जलने के बाद भस्म में केवल 11 ग्राम मर्करी बताया गया।
प्रधान ने कहा कि यदि 2015 की रिपोर्ट को ही आधार मानें, तो 30 टन कचरे में 20.4 किलो मर्करी रहा होगा और पीथमपुर भेजे गए 358.28 टन कचरे में यह 221.34 किलो होता है। साधना कार्णिक का कहना है कि गैस राहत विभाग और अन्य सरकारी एजेंसियों ने नियमों का उल्लंघन कर बिना जनसुनवाई और सही अध्ययन के भोपाल कचरे का गलत ट्रायल कर हाईकोर्ट को भ्रमित किया। नियमों को तोड़ा गया। उन्होंने कहा कि वे इस मामले में जल्द ही हाईकोर्ट में याचिका दायर करेंगी।
मर्करी की ऑनलाइन मॉनिटरिंग के बाद ही होगा निष्पादन प्रदूषण नियंत्रण मंडल के मैंबर सेक्रेटरी अच्युतानंद मिश्रा ने कहा कि पीथमपुर में यूका के कचरे का निष्पादन शुरू करने से पहले मर्करी की ऑनलाइन मॉनिटरिंग की व्यवस्था करने के निर्देश दे दिए गए हैं। यह व्यवस्था होने के बाद ही निष्पादन शुरू होगा। उन्होंने कहा कि समय के साथ मर्करी की मात्रा कम होती है। इसलिए साल 2015 की रिपोर्ट के आधार पर दस साल बाद मर्करी का अनुमान नहीं लगाया जा सकता।
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