MS Dhoni IPL 2025 CSK: रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के खिलाफ मिली हार के बाद पोस्ट मैच प्रेस कांफ्रेंस में चेन्नई सुपर किंग्स के कोच स्टीफन फ्लेमिंग ने कहा कि हम अपने घरेलू मैदान का फायदा नहीं उठा पा रहे हैं. ये बयान मात्र ही चेन्नई सुपर किंग्स की इस टूर्नामेंट की कहानी बयां कर रहा है. इस सीजन चेन्नई सुपर किंग्स अब तक 5 में से 4 मुकाबले हार कर अंक तालिका में नौवें स्थान पर मौजूद है. न सिर्फ घरेलू मैदान पर मिल रही नाकामी बल्कि टीम संयोजन से लेकर पावरप्ले में लचर प्रदर्शन, ऐसे कई सवाल हैं जिनका जवाब ढूंढने में चेन्नई असमर्थ रही है. आइए जानते हैं कैसे
घरेलू मैदान की पिच को पढ़ने में असफल रही है सीएसके
एक समय चेन्नई के चेपॉक मैदान को चेन्नई सुपर किंग्स का किला कहा जाता था. इस आईपीएल में वो किला धीरे-धीरे ध्वस्त होता दिख रहा है. ऐसा इसलिए है क्योंकि अपने 5 में से 3 मुकाबले सीएसके ने चेपॉक में खेले हैं इसमें से दो में उसे हार का सामना करना पड़ा है. इस मैदान पर रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू ने चेन्नई को 17 साल बाद हराया तो वहीं दिल्ली कैपिटल्स ने 15 साल बाद चेपॉक में सीएसके को मात दी.
बीते सालों में चेपॉक की विकेट में काफी बदलाव देखने को मिला है. चेन्नई का इतिहास धीमी विकेट और टर्निंग ट्रैक्स का रहा है. टीमें चेन्नई में स्पिन के खिलाफ तैयारी कर के आती थी. लेकिन बीते कुछ सालों में इसमें काफी परिवर्तन आया है. क्रिकेटडॉटकॉम के एक आंकड़े के अनुसार 2012 से 2021 तक चेपॉक में स्पिन गेंदबाजों की गेंदें 2.87 डिग्री तक घूमती थी जो 2023–24 में गिर कर 2.17 डिग्री हो गई.
क्रिकेटडॉटकॉम के एक डेटा के अनुसार चेन्नई में कुछ सालों से दो तरह की विकेट तैयार की जा रही हैं. 0.65 मीटर की उछाल को माध्यम बाउंस तो वहीं 0.70 या 0.75 मीटर उछलने वाली गेंद को चेपॉक के मानकों के अनुसार हाइ बाउंस ट्रैक माना गया है. ये साफ है कि मुकाबले ज्यादा उछाल भरने वाली विकेट पर मैच खेला जा रहा है. ऐसे में टीम को वैसे बल्लेबाज की जरूरत है जो तेज गेंदबाजी अच्छी खेल सके और गेंदबाजी में अच्छे तेज गेंदबाज हों जो विकेट चटका सकें.
ऑक्शन टेबल का प्लान मैदान पर फेल
ऑक्शन में चेन्नई सुपर किंग्स ने अपने पर्स का एक बड़ा हिस्सा स्पिन गेंदबाजी पर खर्च कर दिया. इस चुनाव से उनकी टीम को असंतुलित कर दिया. चेन्नई की टीम मध्यक्रम के मजबूत बल्लेबाज लाने में असफल रही और साथ ही अच्छे तेज गेंदबाजों को भी टीम के साथ नहीं जोड़ सकी.
राहुल त्रिपाठी और दीपक हुड्डा जैसे बल्लेबाज चेन्नई के लिए अब तक संतोषजनक प्रदर्शन करने में असफल रहे हैं. टीम ने डेवन कॉन्वे से पहले राहुल त्रिपाठी पर भरोसा जताया जो दांव बिल्कुल उल्टा पड़ गया. लिहाजा टीम प्रबंधन को प्लान बी पर शिफ्ट करना पड़ा जहां उन्होंने टीम में काफी बदलाव किए.
पावरप्ले में कमजोर नजर आ रही है चेन्नई
2021 और 2023 में चैंपियन बनने वाली चेन्नई सुपर किंग्स ने 2018 के बाद से 180 से ज्यादा रनों का लक्ष्य हासिल नहीं पाई है. चेन्नई का मूल मंत्र हमेशा अपनी सधी हुई गेंदबाजी से विपक्षी टीम की बल्लेबाजी को फंसाकर मैच जीतना रहा है. कई बार उसमें वे सफल भी हुए हैं, लेकिन इस बार मामला उल्टा पड़ता दिख रहा है.
चेन्नई के कप्तान रुतुराज गायकवाड़ भी ये मानते हैं कि बोलिंग और बैटिंग दोनों ही के समय पावरप्ले, चेन्नई के लिए समस्या है. हालिया सालों की अगर बात रन चेज की हो तो चेन्नई बड़े रन चेज में हमेशा लड़खड़ा जाती है और पीछे रह जाती है. इसका सबसे बड़ा कारण है पावरप्ले में तेज गति से रन न बनाना. आईपीएल 2025 में सबसे कम रन रेट चेन्नई सुपरकिंग्स का ही है. चेन्नई ने इस आईपीएल सीजन पावरप्ले में मात्र 7.4 के रन रेट से रन बनाए हैं. वहीं राजस्थान रॉयल्स ने 11.7 की रन गति से रन बनाकर इस तालिका में सबसे ऊपर काबिज है. चेन्नई की यही गलती उन्हें रन चेज के दौरान अंत के ओवरों में भारी पड़ती है और टीम लगातार हार रही है.
बैटिंग के अलावा बोलिंग में भी पावरप्ले के दौरान चेन्नई की टीम संघर्ष ही कर रही है. चेन्नई ने नूर अहमद, मतीश पथिराना और रविन्द्र जडेजा जैसे गेंदबाजों को पावरप्ले के बाद गेंदबाजी के लिए रखा है. ऐसे में उन्हें खलील अहमद और रविचंद्रन अश्विन जैसे गेंदबाजों का इस्तेमाल करना पड़ता है. चेन्नई ने इस सीजन पावरप्ले के दौरान 10.5 की रन गति और 40 की बेहद खराब औसत से रन लुटाए हैं. ऑक्शन टेबल पर की गई गलतियों का खामियाजा चेन्नई को मैदान पर भुगतना पड़ रहा है.
तैयार करने होंगे पावर हिटर
टी20 आज एक पावर गेम बन चुका है, लेकिन चेन्नई के बल्लेबाज यहां मात खा जाते हैं. इस फॉर्मेट में टीमें एक पारी में ज्यादा से ज्यादा छक्के लगाने वाले खिलाड़ियों को अपनी टीम के साथ जोड़ती हैं. बीते सालों में चेन्नई की टीम भी इस सूची में शामिल थी. फाफ डु प्लेसिस से लेकर मोइन अली, शिवम दुबे से लेकर अजिंक्य रहाणे, रायुडू और कॉन्वे से लेकर गायकवाड़ ने चेन्नई की बल्लेबाजी को काफी मजबूती प्रदान की थी. बीच के ओवरों में ये बल्लेबाज न सिर्फ विकेट बचाते थे बल्कि बड़े शॉट्स खेलकर गेंदबाजों पर दबाव भी बनाकर रखते थे.
यदि आंकड़ों की बात करें तो 2021 – 23 के बीच सीएसके ने 46 मैचों में 139.54 के स्ट्राइक रेट से 351 छक्के लगाए, यानी हर 15 गेंदों के बाद गेंद हवाई यात्रा पर जाती थी. लेकिन 2024 के बाद इसमें एक बड़ा परिवर्तन आया. 2024 और उसके बाद 19 मैचों में चेन्नई ने 138 छक्के लगाए. लेकिन इस बार वे हर 16 गेंद पर छक्के लगा रहे थे. वहीं दूसरी टीमें बुलेट की रफ्तार से रन बना रही है. सनराइज़र्स हैदराबाद ने जहां हर 11 गेंदों पर छक्के लगाए हैं, वहीं रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु ने हर मैचों में 11 से 12 छक्के लगाए हैं. ये एक दो गेंदें मैच में काफी अंतर पैदा कर देती हैं जिसका परिणाम मैच में साफ दिखता है. इस आईपीएल में चेन्नई के पास शिवम दुबे के अलावा कोई भी पिंच हिटर नहीं बचा है. ऐसे में अंत के ओवरों में जिम्मेदारी शिवम दुबे पर ही आ जाती है. ऐसे में दिल्ली प्रीमियर लीग की खोज वंश बेदी को टीम में शामिल करना श्रेयस्कर सिद्ध हो सकता है.
क्या अनहोनी को फिर से होनी करेंगे धोनी?
अपने 5 में से 4 मुकाबले हारकर संघर्ष कर रही चेन्नई के पास उनके “कप्तान” धोनी वापस आ गए हैं. धोनी ने बतौर बल्लेबाज खुद को जरूर पांच नंबर पर प्रमोट कर के बल्लेबाजी कर रहे हैं, जहां पर उन्होंने लंबे शॉट्स भी लगाए हैं. क्या धोनी की वापसी के बाद चेन्नई के खिलाड़ी वापस पुराने रंग में आ जाएंगे ? क्या धोनी फिनिशर के तौर पर वंश बेदी और एक तेज गेंदबाज के रूप में अंशुल कंबोज जैसे युवा खिलाड़ियों को मौका देंगे ? या फिर चेन्नई को ऑक्शन टेबल की गलतियों का खामियाजा पूरे सीजन भर के लिए उठाना पड़ेगा ? ये सब सवाल फिलहाल भविष्य के गर्भ में है, चेन्नई के सामने हैं काफी सवाल जिसके जवाब जितनी जल्दी ढूंढ लिए जाएं चेन्नई के लिए उतना ही अच्छा होगा.
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