मुरैना के नहर वालों का पुरा गांव की नाबालिग लड़की को सिविल लाइन थाना पुलिस ने वन स्टॉप सेंटर भेज दिया है। वहीं दूसरी तरफ नाबालिग के परिजनों का कहना है कि उनकी लड़की पूरे 4 दिन तक अपहरणकर्ताओं के चंगुल में रही है, लिहाजा उसके साथ दुष्कर्म होने की पूरी
.
बता दें कि, वही इस मामले में, सिविल लाइन थाना पुलिस का कहना है कि जब तक नाबालिग अपना मेडिकल परीक्षण कराने के लिए सहमति नहीं देती है तब तक उसका मेडिकल परीक्षण नहीं कराया जा सकता है।
माता-पिता के आवेदन पर मेडिकल संभव वहीं इस मामले में जानकारों का कहना है कि, अगर नाबालिग के माता-पिता चाहे तो वे अपनी बेटी का मेडिकल परीक्षण कर सकते हैं। इस मामले में नाबालिग की सहमति की आवश्यकता नहीं है। नाबालिग पूरे 4 दिन तक अपहरणकर्ताओं चंगुल में रही है। संभव है कि उसको डराया धमकाया गया हो। उसकी सच्चाई बताने पर उसके माता-पिता को जान से मारने की धमकी दी गई हो। उसके साथ दुष्कर्म किया गया हो और उसका वीडियो बनाकर, अपना मुंह बंद रखने के लिए दवाब बनाया गया हो।
इन परिस्थितियों में नाबालिग लड़की का मेडिकल परीक्षण कराने के लिए, उसकी सहमति लेना, आवश्यक नहीं है। अक्सर ऐसे मामलों में देखा जाता है कि नाबालिग को उनके आपत्तिजनक परिस्थितियों के वीडियो बनाकर ब्लैकमेल किया जाता है और इस बात पर सिद्ध करने की कोशिश की जाती है, कि नाबालिग अपनी मर्जी से अपहरणकर्ताओं के साथ गई है। इस प्रकार अपहरणकर्ता अपराध को अंजाम देने के बावजूद बच निकलते हैं।
पुलिस ने एक भी आरोपी नहीं किया गिरफ्तार नाबालिग के परिजनों ने सिविल लाइन थाना पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान उठाए हैं। उनका साफ कहना है कि, पुलिस ने नाबालिग को बरामद किया, लेकिन आरोपियों में से एक की भी गिरफ्तारी नहीं की गई है। अगर पुलिस ने नाबालिग को अपहरणकर्ताओं कि चंगुल से छुड़ाया है तो एक दो अपहरणकर्ता को गिरफ्तार किया जाना था, लेकिन पुलिस ने ऐसा नहीं किया। नाबालिग के परिजनों ने सिविल लाइन थाना पुलिस पर अपहरणकर्ताओं से मिली भगत होने के भी आरोप लगाए हैं।
कहते हैं पुलिस अधिकारी नाबालिग ने न्यायालय में क्या बयान दिए हैं, वे अभी लिखित में लिफाफे में बंद हैं। नाबालिग को सीडब्ल्यूसी के सामने पेश किया जाएगा। उसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।- सुरेंद्र पाल सिंह डाबर, ASP, मुरैना
Leave a Reply
Cancel reply