Three day story of Rani Sati Dadi in Indore | इंदौर में राणी सती दादी की तीन दिवसीय कथा: भागवत लीला का मंचन, भक्तों ने किए अखंड ज्योति के दर्शन – Indore News Darbaritadka

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कार्यक्रम में भागवत लीला का मंचन

इंदौर में श्री अग्रसेन क्लब द्वारा आयोजित तीन दिवसीय राणी सती दादी के पाठ में भक्तों की उमड़ी भीड़। कथावाचक उज्जवल गर्ग ने राणी सती दादी की जीवन गाथा सुनाई।

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कथावाचक ने बताया कि राणी सती का जन्म राजस्थान के डोकवा गांव में हुआ था। उनका वास्तविक नाम नारायणी था। वे गुरसमल बिरमेवाल की पुत्री थीं। बचपन से ही धार्मिक रुचि रखने वाली नारायणी ने घर पर ही शस्त्र-शास्त्र और घुड़सवारी सीखी।

कथावाचक उज्जवल गर्ग ने राणी सती दादी की जीवन गाथा सुनाई।

उनका विवाह तंदनदास जी से हुआ। एक युद्ध में उनके पति की मृत्यु के बाद नारायणी ने सती होने का निर्णय लिया। चबूतरे पर लगी अग्नि तेरह दिन-रात तक जलती रही।

कार्यक्रम में भागवत लीला का मंचन किया गया। इसमें मेहंदी, हल्दी और गजरा प्रसंग का विस्तृत वर्णन हुआ। खातीवाला टैंक में बारात का आयोजन हुआ। एक हजार से अधिक सुहाग पिटारी का वितरण किया गया। दादी को भव्य फूल बंगला सजाया गया और छप्पन भोग अर्पित किया गया।

इंदौर समेत आसपास जिलों से भी पहुंचे भक्त

निखिल शीतल अग्रवाल, पुष्पा एरन, राजेश-उषा बंसल समेत कई गणमान्य लोगों ने व्यास पीठ का पूजन किया। इंदौर, मुंबई, उज्जैन, महू, भोपाल और देवास से बड़ी संख्या में श्रद्धालु परिवार सहित पहुंचे।

कार्यक्रम के समापन पर कुलदेवी राणी सती दादी और झुंझुनू से लाई गई दिव्य अखंड ज्योत के दर्शन के लिए भक्तों की लंबी कतार लगी।

कथा लीला का मंचन

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