स्टैंड-अप कॉमेडियन श्रद्धा जैन
स्टैंड-अप कॉमेडियन श्रद्धा जैन (Stand-up Comedian Shraddha Jain) का एक हालिया वीडियो ‘Mile Sur Mera Tumhara‘ सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में है, जिसे उन्होंने भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस से ठीक पहले यूट्यूब पर अपलोड किया था.
अपने इस वीडियो में ‘अय्यो श्रद्धा’ (Aiyyo Shraddha) के नाम से मशहूर श्रद्धा जैन ने 1988 के मशहूर देशभक्ति गीत ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’ के माध्यम से राष्ट्रीय एकता पर अपने विचार व्यक्त किए हैं.
‘अगर आज के समय में रिलीज हुआ होता’
श्रद्धा ने मजाकिया अंदाज में कल्पना की कि अगर यह गाना आज के समय में रिलीज होता, तो महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में हिंदी का विरोध होने पर किस तरह की प्रतिक्रिया हो सकती है. यह भी कहा कि इस गाने ने उन्हें कई भारतीय भाषाएं सीखने में मदद की.
‘तो ये होता सबसे बड़ा सवाल’
वीडियो में श्रद्धा कहती हैं, आज के समय में सबसे बड़ा सवाल यही होता कि ‘मैं आपकी भाषा क्यों सीखूं?’ उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि हमें ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’ गाना फिर से देखना चाहिए, क्योंकि एक भारतीय के तौर पर हमारी सबसे बड़ी ताकत एक-दूसरे को समझना ही है.
कॉमेडियन श्रद्धा के वीडियो पर छिड़ी बहस
हालांकि, श्रद्धा के इस वीडियो पर लोगों की राय बंटी हुई है. जहां एक तरफ कुछ लोग एक संवेदनशील मुद्दे पर हास्य बुनने के लिए उनकी जमकर तारीफ कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ लोगों को लगता है कि उन्होंने इस वीडियो के जरिए भाषाई प्रभुत्व का विरोध करने वाले, खासकर दक्षिण भारत के लोगों का मजाक उड़ाया है.
कुछ यूजर्स ने कॉमेडियन से पूछा कि क्या वह हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार करने की बात कह रही हैं? कुछ ने उन्हें ‘असफल कॉमेडियन’ कहा जो लोगों का ध्यान खींचने की कोशिश कर रही हैं. वहीं, एक अन्य यूजर ने कॉमेडियन के समर्थन में लिखा, आपका यह वीडियो देखकर भाषा कार्यकर्ताओं को दर्द जरूर होगा, और उन्हें महसूस करना भी चाहिए, क्योंकि वे देश को बांटने की कोशिश कर रहे हैं.
कन्नड़ लेखक ने क्या कहा?
कन्नड़ लेखक गुरुप्रसाद डी.एन. ने X (पहले ट्विटर) पर लिखा कि श्रद्धा का व्यंग्य गलत दिशा में था. उन्होंने कहा, आज हिंदी थोपना एक गंभीर मुद्दा है, क्योंकि केंद्र सरकार अन्य भाषाओं पर हिंदी को थोपने की नीति पर काम कर रही है. उनका मानना है कि ऐसे समय में हास्य का इस्तेमाल सत्ता की आलोचना के लिए किया जाना चाहिए, न कि विरोध करने वालों का मजाक उड़ाने के लिए.
‘श्रद्धा का व्यंग्य गलत दिशा में’
ಸಮಾಜಕ್ಕೆ ಚೂರು ವಿವೇಕ ಬರುತ್ತಿದ್ದಂತೆ ಹಲವು ವಿಷಯಗಳಲ್ಲಿ ಪ್ರಶ್ನೆಗಳು ಏಳಬೇಕು; ಹಾಸ್ಯ ವ್ಯಂಗ್ಯ ಯಾವುದರ ವಿರುದ್ಧ ಅಥವಾ ಯಾವುದರ ಬಗ್ಗೆ ಬಳಕೆ ಆಗಬೇಕು ಅನ್ನುವ ವಿಚಾರ/ಪ್ರಶ್ನೆ ಯಾವುದೇ ಕಲಾವಿದನಿಗೆ ಮುಖ್ಯ ಆಗಬೇಕು.. ಯಾಕೆ ಸರ್ದಾರ್ ಗಳ ಬಗ್ಗೆ ಬರುತ್ತಿದ್ದ ಜೋಕ್ ಗಳು ತಪ್ಪು ಎಂದು ಅದನ್ನು ಸಮಾಜ ಬದಲಾಯಿಸಕೊಳ್ಳಲು ಒತ್ತಡ ಬಂದಿತು? ಯಾಕೆ pic.twitter.com/N7alDL9Mpq
— Guruprasad D N (@guruve_dn) August 16, 2025
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