OMG! कॉलेज की लड़की से पीरियड्स में हुई ऐसी गलती, शरीर से आने लगी मरेहुएचूहेकीगंध

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पीरियड्स के दौरान हुई ये बड़ी गलती Image Credit source: Social Media

अमेरिका की एक युवती ने हाल ही में अपने जीवन का बेहद चौंकाने वाला अनुभव साझा किया है, जो दूसरों के लिए एक महत्वपूर्ण चेतावनी साबित हो सकता है. सवाना मिलर नाम की यह युवती, जो रियलिटी शो ‘द सर्कल’ (सीजन 7) की प्रतिभागी भी रह चुकी हैं, ने बताया कि उन्होंने एक बार अनजाने में लगभग एक महीने तक अपने शरीर में टैम्पॉन छोड़ दिया था. यह लापरवाही उनके लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकती थी.

मिलर उस समय 22 वर्ष की कॉलेज छात्रा थीं. उन्होंने बताया कि मासिक धर्म के आखिरी दिनों में, दोस्तों के साथ बाहर जाने से पहले उन्होंने टैम्पॉन का इस्तेमाल किया ताकि लीक होने से बच सकें. अगले दिन जब पीरियड खत्म हो गया, तो उन्हें लगा कि टैम्पॉन अपने आप बाहर आ गया है, क्योंकि उसका धागा अब दिखाई नहीं दे रहा था. उन्होंने इस पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया और मान लिया कि वह निकल चुका है.

अंदर कुछ सड़ रहा हो

कुछ ही दिनों बाद उनके शरीर में अजीब लक्षण दिखने लगे. जिससे उनके शरीर लगातार असहजता, खुजली और बहुत तेज़ बदबू आने लगी. मिलर के शब्दों में, ऐसा लग रहा था मानो मेरे शरीर के अंदर कुछ सड़ गया हो. हालत यह थी कि कॉलेज की कक्षाओं में बैठना भी मुश्किल हो गया था.

उन्होंने बार-बार यूनिवर्सिटी हेल्थ क्लिनिक का रुख किया, लेकिन शुरुआत में समस्या की असली वजह सामने नहीं आ सकी. डॉक्टरों ने यौन संक्रमण (STI) की जांच की, जो नकारात्मक आई. इसके बाद डॉक्टरों को बैक्टीरियल वैजिनोसिस का शक हुआ, लेकिन लक्षण लगातार बिगड़ते गए. इस दौरान मिलर ने अगली माहवारी में फिर से नए टैम्पॉन इस्तेमाल किया, जिससे पुराना टैम्पॉन और भीतर चला गया. जिससे उसके शरीर से मरे हुए चूहे की बदबू आने लगी.

ऐसे हुआ शक

कई हफ्तों बाद, तीसरी जांच के दौरान उनके मूत्र नमूने में कॉटन के रेशे मिले. इसके बाद डॉक्टरों को शक हुआ और विस्तृत जांच की गई. जांच में पता चला कि पुराना टैम्पॉन अब भी गर्भाशय ग्रीवा (cervix) के पास फंसा हुआ है. उसे तुरंत बाहर निकाला गया.

खुशकिस्मती की बात ये रही कि सवाना को टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (TSS) नहीं हुआ. यह एक गंभीर और दुर्लभ संक्रमण है जो लंबे समय तक टैम्पॉन अंदर रहने पर हो सकता है. इसकी वजह से अंग काम करना बंद कर सकते हैं, मरीज कोमा में जा सकता है या मौत तक हो सकती है. 1990 के दशक में ऐसे कई मामले सामने आए थे. जिसके बाद टैम्पॉन कंपनियों ने पैकेट पर चेतावनी लिखनी शुरू की थी कि हर आठ घंटे में टैम्पॉन बदलना जरूरी है.

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