They used to steal two-wheelers on order, make sale agreement so that there was no suspicion, also make registration cards like original ones and give them | खुलेंगे कई राज: ऑर्डर पर दोपहिया चोरी, सेल एग्रीमेंट करते ताकि शक न हो, असली जैसा रजिस्ट्रेशन कार्ड भी बनाकर देते थे – Bhopal News Darbaritadka

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राजधानी पुलिस ने चोरी के दोपहिया वाहनों को फर्जी रजिस्ट्रेशन कार्ड के आधार पर बेचने वाला गिरोह पकड़ा है। कोहेफिजा और शाहजहांनाबाद पुलिस ने​ गिरोह के 7 सदस्यों को गिरफ्तार कर इनके कब्जे से चोरी के 8 दो पहिया वाहन और कई गाड़ियों के पार्ट्स बरामद किए हैं

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टीआई कृष्ण गोपाल शुक्ला और टीआई यूपीएस चौहान ने बताया कि कुछ दिन पहले अरशान और नवेद खान को गिरफ्तार किया गया था। नवेद मैकेनिक है, जो डिमांड पर अरशान से गाड़ियां चोरी करवाता था। पूछताछ में दोनों ने बताया कि वे चोरी के वाहन निशातपुरा निवासी साहिल को बेचते हैं। साहिल के जरिए यह वाहन इमरान अली के पास पहुंचे।

इमरान ने आरटीओ एजेंट सज्जाद खान की मदद से चोरी के वाहनों के फर्जी रजिस्ट्रेशन कार्ड बनाकर इनका सौदा कर दिया। इस इसमें सलमान और हैदर अली की भूमिका सामने आई।पुलिस ने सभी को गिरफ्तार कर 7.5 लाख कीमत के वाहन बरामद किए हैं। मास्टर माइंड सहित गिरोह के कई सदस्यों को पुलिस रिमांड पर मांगा गया है। पुलिस को उम्मीद है कि इनसे पूछताछ के आधार पर किसी बड़े गिरोह का खुलासा हो सकता है।

फर्जी आरसी के लिए बनाया खुद का सेटअप

गिरोह के सदस्यों ने पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। चोरी के वाहन खरीदने वालों को शक न हो, इसलिए स्टाम्प पर विक्रय अनुबंध भी करते थे। पुलिस ने ऐसे चार विक्रय अनुबंध बरामद किए हैं। फर्जी आरसी तैयार कराने में सज्जाद की सबसे अहम भूमिका रही। जहांगीराबाद क्षेत्र में उसका ऑफिस है। यहीं पर उसने असली जैसे दिखने वाले रजिस्ट्रेशन कार्ड तैयार कराए।

चोरी के वाहनों के पार्ट्स दूसरी गाड़ियों में लगाए:

आरोपी मैकेनिक नवेद ने चोरी के वाहनों के पार्ट्स दुकान पर सुधरने आईं गाड़ियों में लगाए। इसके एवज में वह नए पार्ट्स के पैसे लेता था। पुलिस ने गिरोह से कटर सहित कई औजार बरामद किए हैं। पुलिस पता लगा रही है कि गिरोह अब तक कितनी गाड़ियां चोरी कर चुका है।

खुद ट्रांसफर करवाते थे गाड़ी

फर्जी रजिस्ट्रेशन का खुलासा न हो, इसलिए चोर खुद ट्रांसफर स​र्टिफिकेट तैयार कराने की बात कहते थे। इस सहुलियत पर खरीदार तैयार हो जाते थे। फर्जी आरसी कैसे तैयार किए, पुलिस यह तकनीक समझ रही है।

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