60% of the bypass is immersed in darkness | बायपास का 60 फीसदी हिस्सा अंधेरे में डूबा: क्योंकि नगर निगम और एनएचएआई तय नहीं कर पा रहे ये काम किसका है? – Indore News Darbaritadka

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इंदौर-देवास बायपास के करीब 60% हिस्से की स्ट्रीट लाइटें बंद हैं। वजह? भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) व नगर निगम तय ही नहीं कर पा रहे हैं कि यहां स्ट्रीट लाइट का मेंटेनेंस किसका काम है। निगम व एनएचएआई के टकराव का खामियाजा जनता भुगत रही

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बायपास होने से स्ट्रीट लाइट्स का काम एनएचएआई ने करा दिया, लेकिन अब अफसर चाहते हैं कि निगम इसका मेंटेनेंस अपने हाथ में रखें क्योंकि अब यह बायपास नहीं होकर सिटी रोड हो चुका है। इसलिए इसके लिए पिछले साल पत्राचार किया गया भी था। करीब चार महीने पहले भी चिट्ठी लिखी गई थी, निगम अफसरों का कहना है कि उन्हें ऐसी कोई चिट्‌ठी नहीं मिली।

एनएचएआई

अब शहर बस गया, निगम देखे मेंटेनेंस एनएचएआई की दलील है कि अब बायपास के दोनों ओर कॉलोनियां, मॉल, कॉलेज व फैक्ट्रियां बन चुकी हैं। यहां प्रॉपर्टी टैक्स निगम वसूल रहा है, तो लाइट का रखरखाव भी करें। एनएचएआई के सुमेश बांझल का कहना है, यह निगम का रेगुलर वर्क है। चार महीने पहले पत्र भेजा था कि लाइट्स हम लगा देते है। मेंटेनेंस का काम आप देख लें।

चार साल में पूरी लाइट नहीं लगी… निगम 2021 में दे चुका पूर्णता प्रमाण पत्र

एनएचएआई ने बायपास पर स्ट्रीट लाइट लगाने का काम साल 2021 में पूरा करवा लिया था। ठेकेदार डीआर अग्रवाल इंफ्राकॉन ने खंभे और ट्रांसफॉर्मर लगाए, कनेक्शन भी मिल गया। 05 जनवरी 2021 को फाइनल कंप्लीशन सर्टिफिकेट भी जारी हो गया। निगम ने भी 2019 में पत्र देकर कह दिया था कि बिजली का बिल नगर निगम देगा। इसके बाद भी तीन साल बीत गए, लेकिन लाइटें कभी कभार ही जलती हैं। लाइट लगाने का काम अभी तक पूरा नहीं हुआ है।

नगर निगम पूरी प्रक्रिया होती है, ऐसे ही थोड़ी हैंडओवर हो जाएगा निगम के अपर आयुक्त नरेंद्र नाथ पांडे का कहना है कि हमें अब तक एनएचएआई से कोई औपचारिक पत्र नहीं मिला है। किसी भी चीज के हैंडओवर की प्रक्रिया होती है। संयुक्त निरीक्षण होगा, फिर निर्णय होगा। हमारी सीमा अरंडिया से लगती है। हम सिर्फ नगरीय सीमा में काम कर सकते हैं। एनएचएआई बताए कि कहां की लाइट्स हैंडओवर करना चाहते हैं।

बड़ा सवाल हादसे का जिम्मेदार कौन होगा? : बायपास पर रोज हजारों वाहन चलते हैं। लाइट बंद रहने से हादसे का खतरा बढ़ जाता है। सबसे ज्यादा दिक्कत ट्रांसफार्मर फ्यूज चोरी, शॉर्ट सर्किट और दुर्घटना में खंभे को नुकसान पहुंचने से आती है।

एक सर्विस रोड पहले ही हैंडओवर हो चुका : एनएचएआई 24 किमी लंबी सर्विस रोड पहले ही नगर निगम को हैंडओवर कर चुका है। इसके रखरखाव के लिए 42.58 करोड़ की राशि भी स्वीकृत की जा चुकी है। ऐसे में स्ट्रीट लाइटों के संचालन में पेंच समझ से परे है।

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