स्वास्थ्य विभाग में कांग्रेस की पिछली सरकार के दौरान रीएजेंट की तरह डेंटल चेयर की खरीदी में भी बड़ी धांधली की गई है। पूरे प्रदेश के अलग-अलग हेल्थ सेंटरों में दांत के डॉक्टर (डेंटिस्ट) के केवल 141 पद हैं। उसमें भी 48 पद खाली हैं। उसके बाद भी स्वास्थ्य
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उसके बाद उन अस्पतालों में भी सप्लाई कर दिया, जहां डेंटिस्ट नहीं है। नतीजा कहीं डेंटल चेयर की पैकिंग नहीं खुली है, तो कहीं दूसरे अस्पताल के डॉक्टरों को सप्ताह में दो दिन बुलवाकर इलाज करवाया जा रहा है। दुर्ग जिले की डेंटल चेयर तो एक अस्पताल से दूसरे में शिफ्टिंग के दौरान गायब ही हो गई। हैरानी की बात है कि चेयर की गैर जरूरी खरीदी रीएजेंट घोटाले में जेल में बंद मोक्षित कार्पोरेशन के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा से की गई है।
स्वास्थ्य विभाग में हालांकि मोक्षित कार्पोरेशन की एंट्री 2017-18 में हो गई थी, लेकिन 2019 के बाद इस कंपनी ने सप्लाई के सिस्टम पर कब्जा कर लिया। हेल्थ सेंटरों में डेंटल चेयर की भी सप्लाई मोक्षित कार्पोरेशन ने ही की है। स्वास्थ्य विभाग और सीजीएमएससी में सप्लाई का सिस्टम एक तरह से मोक्षित कंपनी के हाथ में था, कंपनी के डायरेक्टर और अन्य पदाधिकारी ही मशीनों और उपकरणों की सप्लाई का प्रस्ताव बनाकर देते थे।
उसी हिसाब से फिर टेंडर जारी किया जाता था। ग्राउंड में क्या जरूरत है, इससे स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को भी कोई मतलब नहीं रहता था। खरीदी के बाद जब अस्पतालों में भेजने की बारी आई तब ऐसे ऐसे सेंटरों में भेज दिया जहां डाक्टर ही नहीं है।
हीरापुर में पैकिंग नहीं खुली, भाठागांव में उधार से चला रहे
टाटीबंध के पास स्थित हीरापुर हेल्थ सेंटर। अस्पताल में बाकी सिस्टम तो चल रहा है लेकिन डेंटल चेयर की करीब ढाई साल से पैकिंग ही नहीं खुली है। कंपनी ने जिस स्थिति में सप्लाई की थी, मशीन उसी स्थिति में पड़ी है। कारण,डेंटिस्ट की पोस्टिंग न होना। मशीन जब यहां भेजी गई थी तब भी डेंटिस्ट नहीं थे। भाठागांव हेल्थ सेंटर में भी उसी समय डेंटल चेयर सप्लाई की गई थी। वहां भी डेंटिस्ट नहीं है। बलौदाबाजार में पदस्थ डेंटिस्ट को यहां अटैच किया गया है। वे सप्ताह में दो दिन मरीज देखने आते हैं।
दुर्ग: पैकिंग खोली तब पता चला कंप्रेशर मशीन ही नहीं, एक चेयर गायब दुर्ग में डेंटल चेयर की जब पैंकिंग खोली गई तो पता चला कि उसमें कंप्रेशर ही नहीं है। जबकि ये मशीन का सबसे जरूरी हिस्सा हाेता है। दुर्ग में सप्लाई चार मशीनों में एक में भी कंप्रेशर नहीं है। टेंडर की शर्तों के अनुसार सभी इक्यूपमेंट के साथ डेंटल चेयर सप्लाई करना था। इतना ही नहीं यूपीएचसी खुर्सीपार भेजी गई डेंटल चेयर तो गायब ही हो गई है। खुर्सीपार अस्पताल के प्रभारी डॉ. डाफने विभोर के मुताबिक डेंटिस्ट नहीं था इसलिए मशीन सीएचसी रिसाली भेज दी गई।
ऐसे ही प्रदेश के सेंटरों में खपाई डेंटल चेयर गरियाबंद, मैनपुर, महासमुंद, धमतरी, बस्तर, दंतेवाड़ा, बलौदाबाजार, जांजगीर चांपा, बेमेतरा, कवर्धा, जशपुर और रायगढ़ के छोटे-छोटे हेल्थ सेंटरों में इसी तरह डेंटल चेयर की सप्लाई कर दी गई, जबकि ज्यादातर सेंटरों में दांत के डाक्टर ही नहीं हैं। ये पूरा खेल रीएजेंट केमिकल की तरह किया गया है।
पिछली सरकार में रीएजेंट खरीदी में भी धांधली की गई थी। उसकी ईओडब्ल्यू जांच कर रही है। डेंटल चेयर की खरीदी में किस तरह की गड़बड़ी की गई है, इसकी भी जांच कराई जाएगी। गड़बड़ी मिलने पर जिम्मेदारों को छोड़ा नहीं जाएगा। श्याम बिहारी जायसवाल, स्वास्थ्य मंत्री
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