मध्य प्रदेश राज्य सहकारी डेयरी फेडरेशन (सांची) के पास हर रोज तीन लाख लीटर दूध बच रहा है, और इस दूध का पाउडर बनाया जा रहा है। गर्मी के मौसम में जब दूध की कमी होगी तो यही दूध पाउडर दूध में मिला दिया जाएगा। पाउडर मिला यह दूध स्वाद और पौष्टिकता दोनों में
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राजधानी के वरिष्ठ पीडियाट्रिशियन और सीएमएचओ डॉ. प्रभाकर तिवारी कहते हैं कि साधारण शब्दों में आप ऐसे समझिए कि ताजे दूध में सॉलिड एकदम घुला रहता है, इसे आप गर्म करके या सेंट्रीफ्यूगल टेक्निक से ही निकाल सकते हैं, लेकिन यदि आप पाउडर को पानी में मिलाकर वापस दूध बनाते हैं तो वह प्राकृतिक दूध जैसा मिक्स नहीं होता। लगातार दूध पाउडर के सेवन से कोलस्ट्रॉल, डायबिटीज का खतरा बढ़ता है। शरीर का पाचन भी बिगड़ता है। बच्चों का पाचन तंत्र कमजोर होता है, इसलिए उन्हें पाउडर वाला दूध देने से मना किया जाता है।
ताजे दूध के मुकाबले कम पौष्टिक है पाउडर मिल्क
लैक्टोज एक तरह का नेचुरल शुगर है, जो ताजे दूध में पाया जाता है। इससे शरीर को एनर्जी मिलती है। मिल्क पाउडर में दूध के मुकाबले लैक्टोज की मात्रा कम होती है। इसमें आर्टिफिशियल शुगर मिलाई जाती है, जो वजन बढ़ने और मोटापे का कारण बन सकता है। दूध पाउडर में कैल्शियम कम होता है। ताजे दूध में विटामिन बी-5 और बी-12 होता है, जो मिल्क पाउडर में नहीं मिलता। फास्फोरस और सेलेनियम की मात्रा भी पाउडर में ताजे दूध से कम होती है।
दोबारा ताजा दूध संभव नहीं
एक्सपर्ट्स के अनुसार ताजे दूध में पानी, सॉलिड नॉट फैट (एसएनएफ) और फैट होता है। एसएनएफ की मात्रा से तय होता है कि दूध में कितनी मलाई आएगी। दूध से पाउडर बनाते समय पानी उड़ जाता है। दूध के पानी में जो प्राकृतिक रूप से विटामिन और दूसरे पोषक तत्व पाउडर में नहीं मिलते। एसएनएफ को दो साल तक सुरक्षित रखा जा सकता है, जबकि फैट को बटर फॉर्म में रखा जाता है। यह माइनस 16 डिग्री तापमान पर 6 से 8 महीने तक रखा जा सकता है।
रोजाना 7 लाख लीटर की खपत, 4 हजार टन से ज्यादा पाउडर स्टॉक में सांची से जुड़े सूत्रों के अनुसार रोजाना प्रदेश में लगभग 10 लाख लीटर दूध का कलेक्शन हो रहा है, लेकिन खपत 7 लाख लीटर की होती है। इस तीन लाख लीटर दूध से पाउडर और मक्खन बनाया जा रहा है। सांची प्लांट में 4 हजार टन से ज्यादा मिल्क पाउडर रखा हुआ है।
20 फीसदी से अधिक पाउडर मिलाएं तो आम आदमी भी पकड़ सकता है डेयरी टेक्नोलॉजी के एक्सपर्ट्स बताते हैं कि कितने दूध में कितना पाउडर मिलाया जाए, इसको लेकर कोई नियम नहीं है, लेकिन 20 फीसदी से अधिक पाउडर मिलाने पर दूध की महक में ही अंतर आ जाता है। आम आदमी को भी पीने पर समझ आ जाता है कि इसमें पाउडर मिला हुआ है। इस साल गर्मी में पर्याप्त दूध मिल गया। पाउडर मिक्स करने की जरूरत नहीं पड़ी। जब भी ऐसी स्थिति बनती है, दूध की क्वालिटी ध्यान रखा जाता है।
-असीम निगम, असिस्टेंट जनरल मैनेजर, एमपीसीडीएफ
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